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तीन हल्के में मौजूद टाउनशिप में दबी सरकारी भूमि, न प्रशासन ने देखा, शिकायतें पहुंची तो लीपापोती की

Government lands were taken inside their boundary walls, when attention was diverted, constructions were also carried out, old records were not checked before giving NOC for the lands.

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Government lands were taken inside their boundary walls, when attention was diverted, constructions were also carried out, old records were not checked before giving NOC for the lands.

Government lands were taken inside their boundary walls, when attention was diverted, constructions were also carried out, old records were not checked before giving NOC for the lands.

नियोटेरिक डेवलपर्स के आरडी गुप्ता की अलग-अलग फर्म ने ओहदपुर, महलगांव, डोंगरपुर हल्के में टाउनशिप विकसित की है। इन टाउनशिप के आसपास बेसकीमती सरकारी जमीनें मौजूद थी, लेकिन बिल्डिर ने जमीनों को अपनी टाउनशिप में मिला लिया। इसकी शिकायत जिला प्रशासन के पास भी पहुंची। शिकायत के बाद स्थिति नहीं देखी और जो जांच की, उसमें लीपापोती कर दी। यही वजह है कि सिटी सेंटर की करोड़ों की सरकारी भूमि टाउनशिप में दब गई। उन पर बहुमंजिला इमारत व ओपन स्पेश एरिया दिखाकर फ्लैट, डुप्लेक्स बेच दिए। अब इसके फर्जीवाड़े का खामियाज वहां रहने वाले लोग भुगतेंगे।

दरअसल सिटी सेंटर क्षेत्र की 52 हेक्टेयर भूमि को अलग-अलग बिल्डरों ने दबाया है। हाईकोर्ट के नोटिस के बाद सरकारी सर्वे नंबर की जमीनों की जांच के लिए कमेटी बनाई है। इस कमेटी ने शुरुआत में तेजी से काम किया था, लेकिन अब सुस्त पड़ गए हैं। जांच में तेजी नहीं दिखाई है। हर बिल्डर की टाउनशिप में सरकारी जमीन दबी हुई है। एनओसी जारी करने से जमीनों का पुरान रिकॉर्ड नहीं देखा। मिसिल बंदोबस्त में जमीन वन या शासकीय है और कांटछांट करके जमीनें निजी हुई है। पत्रिका ने न्यूट्रिक हाउसिंग, ग्रेविटी इन्फ्रास्ट्रक्चर, नियोटेरिक डेवपर्स व जीएलआर रीयल एस्टेट समूह, नियोटेरिक कंस्ट्रक्शन ने विकसित की टाउनशिप की पड़ताल की और विशेषज्ञों से भी हकीकत जानी तो हर टाउनशिप में नियमों को ताक पर रखा है।

नियोटेरिक बिल्डर की टाउनशिपों में सरकारी जमीनों की स्थिति

महलगांव: महलगांव हल्के में अलकापुरी पर एनजी ग्रांड टाउनशिप बसाई है। इसमें जीवाजी विश्वविद्यालय की जमीन सर्वे क्रमांक 871 की भूमि आ रही है। सर्वे क्रमांक 27, 26, 252, 251 भी सरकारी है। इन सर्वे नंबर की लोकेशन किसान एप पर एनजी ग्रांड व माइल स्टोन पर दिख रही है। एनजी ग्रांड के पीछे की ओर भी दो सर्वे नंबर आ रहे हैं।

डोंगरपुर: डोंगरपुर के सर्वे क्रमांक 18, 22, 30 की 1.356 हेक्टेयर भूमि का संयुक्त सर्वे किया गया था। जीएलआर रीयल स्टेट ने तीनों सर्वे नंबर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर लिया था। सर्वे क्रमांक 18 की 0.360 हेक्टेयर भूमि फ्लैट का संपूर्ण ब्लॉक का निर्माण किया गया है। सर्वे क्रमांक 22 की 0.916 हेक्टेयर भूमि पर 40 डुप्लेक्स व पार्क का निर्माण किया गया है। सर्वे क्रमांक 30 पर पार्क व रास्ते का निर्माण किया गया है। गुलमोहर सिटी भी वन भी पर विकसित कर दी।

- रीगल गार्डन में सर्वे क्रमांक 191, 193, 196, 187 की भूमि आ रही है। स्कूल के ग्राउंड में 135 सर्वे नंबर की भूमि है। सर्वे क्रमांक 138 का हिस्सा गार्डन पैलेस टाउनशिप में है।

ओहदरपुर: राजस्व मंडल के सचिव मनोज श्रीवास्तव ने 2005 में ओहदपुर की सरकारी जमीनों की रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट में खुलासा किया था कि मिसिल बंदोबस्त में जमीनें वन या शासकीय थी, लेकिन बाद में रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई। खसरों में कांटछांट की गई। जमीनें निजी हो गई। सर्वे क्रमांक 345, 347 का भी रिपोर्ट में जिक्र है। यह जमीन सरकारी रही है। बाद में निजी हो गई। इन सर्वे नंबर पर ईस्ट पार्क विकसित किया गया है।

- सिटी सेंटर क्षेत्र की सरकारी जमीनों की जांच के लिए कमेेटी का गठन किया है। यह कमेटी जमीनों का भौतिक सत्यापन कर रही है। रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी कि कितनी जमीन पर अतिक्रण किया गया है।

रुचिका चौहान, कलेक्टर