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सरकार को नीति निर्माण में लेना चाहिए समाजसेवियों की राय

वर्तमान में कोविड-19 ने कई तरह की चुनौतियां समाज और सरकार के सामने खड़ी कर दी हैं। इनका सामना सबको मिलकर करना होगा। इसके लिए शिक्षण संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों आदि को सरकार के साथ सहायक की भूमिका निभानी होगी।

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सरकार को नीति निर्माण में लेना चाहिए समाजसेवियों की राय

सरकार को नीति निर्माण में लेना चाहिए समाजसेवियों की राय

ग्वालियर. वर्तमान में कोविड-19 ने कई तरह की चुनौतियां समाज और सरकार के सामने खड़ी कर दी हैं। इनका सामना सबको मिलकर करना होगा। इसके लिए शिक्षण संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों आदि को सरकार के साथ सहायक की भूमिका निभानी होगी। सरकार को नीति बनाते समय कर्मठ और जागरूक समाजसेवियों की राय लेनी चाहिए। यह बात प्रथम - मुंबई एजुकेशन इनिशिएटिव की सचिव प्रो. फरीदा लांबे ने कही। वह जीवाजी विश्वविद्यालय की समाजकार्य अध्ययनशाला की ओर से 'सोशल वर्क एजुकेशन - न्यू चैलेंजेज एंड वर्केबल चेंजेज' विषय पर कराए गए वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थीं। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. आनंद मिश्रा, प्रोग्राम कन्वीनर प्रो. विवेक बापट, प्रो. जीबीकेएस प्रसाद, डॉ. साधना श्रीवास्तव, डॉ. अर्चना चतुर्वेदी, प्रेरणा प्रिया और अंजलि सहित कई लोग उपस्थित रहे।

वहीं डॉ. प्रभा तीरमारे, निर्मला निकेतन कॉलेज मुंबई यूनिवर्सिटी, डॉ. जलिंदर अड्सुले, प्राचार्य, डॉ. बाबा साहब अंबेडकर कॉलेज, धुले, भीमराव रासकर, डायरेक्टर रिसोर्स एंड सपोर्ट सेंटर फॉर डवलपमेंट, मुंबई ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

फील्ड में जाकर करें काम

अध्यक्षता कर रहीं जेयू की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि यह चुनौती का समय है। ऐसे में हम युवा वर्कर्स तैयार कर रहे हैं, जो कैदियों के कल्याण, गांव के विकास, बालश्रम और महिलाओं के विकास जैसे विषयों पर लगातार काम कर सकें। इसके लिए वर्कर्स को फील्ड में जाकर लगातार कार्य करने की जरूरत है।