
ट्रेन। फोटो: पत्रिका
ग्वालियर. घने कोहरे का असर दिखने से पहले ही ट्रेनें घंटों की देरी से चलने लगी हैं, जिससे यात्रियों को स्टेशन पर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। दिल्ली से ग्वालियर के बीच चलने वाली कई महत्वपूर्ण ट्रेनें अभी से निर्धारित समय से काफी पीछे चल रही हैं, जिससे यात्रियों की असुविधा बढ़ गई है। रेलवे ने आगामी कोहरे के साथ-साथ झांसी रेलवे स्टेशन पर चल रहे निर्माण कार्य के चलते 25 नवंबर से ही कुछ ट्रेनों के रूट में बदलाव किया है और कुछ को रद्द भी कर दिया है। कई ट्रेनें अब झांसी की जगह गुना, शिवपुरी और अशोक नगर होकर निकाली जा रही हैं, जिससे यात्रियों का समय अधिक खराब हो रहा है और वे अतिरिक्त परेशानी झेल रहे हैं।
प्रमुख ट्रेनों की लेटलतीफी
बुधवार को दिल्ली से आने वाली ट्रेनों की स्थिति बेहद खराब रही। झेलम एक्सप्रेस 1 घंटा 50 मिनट, उत्कल एक्सप्रेस 5 घंटे, पातालकोट 2.50 मिनट, सचखंड एक्सप्रेस 2.30 मिनट और महाकौशल एक्सप्रेस 1.30 मिनट की देरी से ग्वालियर पहुंची। इस लेटलतीफी के कारण हजारों यात्रियों को ठंड में \इंतजार करना पड़ा।
कैलारस ट्रेन में ’मेमू’ तर्ज पर दो इंजन, समय की बचत
शादी समारोहों के चलते इन दिनों ग्वालियर से कैलारस तक जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई है। इस मार्ग पर फिलहाल एलएचबी कोच की जगह आईसीएफ कोच वाली ट्रेनों का संचालन हो रहा है। इन ट्रेनों में गंतव्य स्टेशन पर इंजन बदलने में लगभग 50 मिनट का अतिरिक्त समय लगता था, जिससे यात्रियों को परेशानी होती थी। इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे ने एक अनूठी पहल की है। अब कैलारस तक जाने वाली ट्रेन में मेमू (मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) की तर्ज पर ट्रेन के दोनों छोर पर इंजन लगाए गए हैं। यह ’पुश-पुल’ तकनीक ट्रेन को गंतव्य स्टेशन पर पहुंचने के बाद इंजन बदलने की जरूरत के बिना तुरंत वापस लौटने में सक्षम बनाएगी, जिससे लगभग पचास मिनट का बहुमूल्य समय बचेगा। यात्रियों की भीड़ को देखते हुए इस ट्रेन में दो अतिरिक्त कोच भी बढ़ाए गए हैं।
कोहरे के कारण फेरे कम हुए
हालांकि, कोहरे के चलते कैलारस जाने वाली इस ट्रेन के फेरे भी कम किए गए हैं। पहले जहां यह ट्रेन प्रतिदिन तीन फेरे लगाती थी, अब इसे घटाकर दो फेरे कर दिया गया है। इन दो फेरों में भी लगभग पांच सौ के आसपास यात्री सफर कर रहे हैं, जो इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है। ग्वालियर से कैलारस के लिए बस से ज्यादा ट्रेनों में भीड़ रहती है, क्योंकि ट्रेन का किराया (20 रुपए) बस (मुरैना होकर 80 रुपए) की तुलना में काफी सस्ता है।
झांसी में चल रहे निर्माण कार्य के चलते कुछ ट्रेनों को डायवर्ट किया है। इससे कुछ यात्रियों को परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है। वहीं लंबे रूट की ट्रेनें दूसरे मंडल से ही देरी से आ रही हैं।
मनोज कुमार ङ्क्षसह, पीआरओ झांसी मंडल
मनोज कुमार सिंह, पीआरओ झांसी मंडल
Published on:
05 Dec 2025 02:17 am
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