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यह लक्षण अगर आपको भी हैं, तो तत्काल कराएं जांच, नहीं तो गंभीर बीमििरयों का हो सकते हैं शिकार

यह लक्षण अगर आपको भी हैं, तो तत्काल कराएं जांच, नहीं तो गंभीर बीमििरयों का हो सकते हैं शिकार

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एक्सपोज में शनिवार के प्लान की खबरें, अभी भिजवा दीजिए, दोपहर १२ बजे तक संपादक जी को दिखाना है

यह लक्षण अगर आपको भी हैं, तो तत्काल कराएं जांच, नहीं तो गंभीर बीमििरयों का हो सकते हैं शिकार

ग्वालियर. मौसम के करवट बदलने से वायरल फीवर जोर पकड़ गया है, लेकिन लोगों को इससे निजात दिलाने में स्वास्थ्य महकमा कमजोर साबित हो रहा है। अस्पताल में मरीजों की भीड़ लगी है, लेकिन सभी मरीजों का चेकअप नहीं हो पा रहा है। सरकारी अस्पताल में डॉक्टर घड़ी देखकर ड्यूटी कर रहे हैं, इसलिए तमाम मरीजों को न इलाज मिल रहा है, न दवाएं मिल रही हैं। मरीजों की परेशानी यह है कि बुखार की हालत में बिस्तर से उठकर अस्पताल आने पर भी चेकअप का नंबर नहीं आता है तो बिना इलाज वापस लौटना पड़ रहा है। क्षेत्र में फैला वायरल और डॉक्टरों की मनमानी इन दिनों हॉट इश्यू बनता जा रहा है।

वायरल बुखार के लक्षण

- शरीर में तेज दर्द
- गले में खराश और दर्द
- त्वचा पर हल्के धब्बे पडऩा
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
- कमजोरी महसूस होना
- सिर में भारी दर्द होने के साथ तेज बुखार
- खांसी की शिकायत

जयारोग्य अस्पताल की हालत बदतर है, यहां हर दिन 2500 से 3000 लोग बुखार व अन्य बीमारियों से पीडि़त होकर आ रहे हैं, लेकिन सभी को इलाज नहीं मिल पा रहा है। दोपहर एक बजे के बाद ओपीडी में सन्नाटा हो जाता है। इसमें भी अगर चेकअप का नंबर नहीं आया और डॉक्टर के जाने का वक्त हो गया तो दूसरे दिन आना पड़ेगा। इससे मरीज और उनके अटेंडर परेशान हैं। जबकि अधिकारियों का कहना है कि जब तक मरीज अस्पताल में है, उसका इलाज करना डॉक्टर की जिम्मेदारी है। शुक्रवार को पत्रिका ने जेएएच का जायजा लिया तो वहां मरीज परेशान होते हुए दिखे। सुदीप चाहर की बेटी को कुत्ते ने काट लिया था, उनका कहना था कि जेएएच में बेटी के इलाज के लिए आए हैं, लाइन में खड़े होकर पर्चा भी बनवा लिया, लेकिन इसमें इतना वक्त लग गया कि डॉक्टर का ड्यूटी टाइम खत्म हो गया, इसलिए वह चले गए। उनकी जगह वहां मौजूद स्टाफ ने बेटी का चेकअप कर इलाज बताया। यह सिर्फ सुदीप की परेशानी नहीं है, बल्कि ऐसे तमाम मरीज थे जो चाहते थे कि उनका इलाज सीनियर डॉक्टर करें। दोपहर बाद अगर सीनियर डॉक्टर्स को दिखाना हो तो उनके बंगले या क्लीनिक पर जाना पड़ता है। वहां फीस देकर चेकअप होता है, यह हर मरीज के बस की बात नहीं है।

शहर और देहात की डिस्पेंसरी में हालत बहुत खराब

जेएएच में कई मरीज शहर के बाहरी क्षेत्र और देहाती इलाके से आते हैं, उनका कहना है कि अगर जिला अस्पताल, सिविल डिस्पेंसरी में मरीजों को बेहतर इलाज मिले तो जेएएच में आने की जरूरत ही नहीं पड़े। वहां इस बात का भरोसा नहीं होता कि डॉक्टर मौजूद मिलेंगे या नहीं। देहात में तो ज्यादातर कंम्पाउंडर ही डॉक्टर का काम करते हैं, इसलिए लोगों को मजबूरी में जेएएच में आना पड़ता है। स्वास्थ्य महकमे के अफसरों को यह देखने की फुरसत नहीं है कि अस्पतालों की हालत क्या है। जब किसी मरीज के साथ कोई हादसा हो जाता है तो हो हल्ला मचने पर कुछ दिन के लिए हालात सुधर जाते हैं, फिर सब पुराने ढर्रे पर आ जाता है।

वायरल सामान्य बुखार की तरह ही लगता है, इसलिए बुखार होने पर चिकित्सक से जरूर सलाह लें। चिकित्सक की सलाह के बाद ही दवा लें। पीडि़त से हाथ मिलाने, खांसने, छींकने, सामने या नजदीक से बात करने से भी वायरल हो सकता है, इसलिए वायरल पीडि़त से थोड़ी दूरी बनाए रखें। साथ ही पानी उबालकर और छानकर ही उपयोग करें।
जेएएच में लंबी कतार मरीज और उनके अटेंडर्स की परेशानी बढ़ाती है। हस्तिानपुर से मरीज को लेकर आए बीरबल सिंह कहते हैं कि सुबह से रिश्तेदार को लेकर जेएएच में आए हैं, उन्हें वायरल फीवर है। पहले डॉक्टर के चेंबर के बाहर कतार में बैठकर अपनी बारी का इंतजार किया, फिर दवा लेने के लिए कतार में लगना पड़ा। सारा काम सिर्फ १५ मिनट का था, लेकिन पूरा दिन इसी में चला गया। मरीज को भी पेड़ के नीचे लेटाकर आए हैं। अगर दवा और इलाज का इंतजाम सरल किया जाए तो मरीजों और उनके अटेंडर्स को राहत मिलेगी।


एक सदस्य को होते ही पूरे घर में फैल रहा वायरल- बदलते मौसम के कारण नगर में वायरल बुखार का प्रकोप बढ़ रहा है। यह लोगों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। थोड़ी सी लापरवाही के कारण लोग इसका शिकार हो रहे हैं। लोगों बुखार उतर जाने के बाद भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस बुखार की चपेट में आने वाले रोगियों को सर्दी-खांसी और गले में तेज दर्द की परेशानी होती है और काफी कमजोरी आ जाती है। वायरल बुखार की समस्या से सिर्फ शहर के मरीज ही नहीं, बल्कि गांवों के लोग भी काफी परेशान हैं। वायरल की चपेट में आने से घर के एक सदस्य से पूरे घर में वायरल फैल रहा है।

- वायरल से बचाव के लिए लोगों को स्वास्थ्य संबंधी उपाए बताकर जागरूक किया जा रहा है। जहां तक जेएएच में ओपीडी की बात है तो 1.30 बजे डॉक्टर बैठते हैं, इसके बावजूद अगर कोई मरीज पर्चा बनवाकर पहुंच जाता है तो डॉक्टर उसका उपचार किए बिना नहीं जा सकते हैं। जहां तक प्रयास यही रहता है कि सभी मरीजों को उपचार मिल सके। ४ बजे तक ओपीडी की बात है तो यह व्यवस्था जिला अस्पतालों में की गई है।
अशोक मिश्रा, अधीक्षक, जेएएच