इसरो अपने स्पेस प्रोजेक्ट्स के सफल लांचिंग द्वारा दुनिया में एक अलग मुकाम हासिल कर चुका है। एक समय था जब भारत को अपने सेटेलाइट्स का प्रोजेक्शन करने के लिए अमेरिका और रूस जैसे देशों की मदद लेता था, लेकिन अब भारत खुद अमेरिका और रूस जैसे तमाम देशों के सेटेलाइट्स को अपने लांच व्हीकल से लांच करता है। यह जानकारी दे रहे थे इसरो के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर व प्रोजेक्ट डायरेक्टर (क्रायोजेनिक्स) नवल किशोर गुप्ता। वे आइटीएम यूनिवर्सिटी के 10वें विज्डम लेक्चर सीरिज में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। यूनिवर्सिटी इंडस्ट्री सेल व स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की ओर से आयोजन हुआ।
चुनिंदा प्रोजेक्ट्स पर इसरों करेगा काम
उन्होंने बताया कि इसरो आगामी वर्षों में कुछ चुनिंदा प्रोजेक्ट्स को करने की योजना बना रहा है जिनमें चंद्रयान-3, आदित्य-1, भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन, मंगलयान-2 तथा बृहस्पति मिशन हैं। मंगलयान-2 को 2024 में लॉन्च करने का निश्चय किया गया है। यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ एसएस भाकर ने विश्व स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी और नए इनोवेशन का जिक्र किया। प्रो वाइस चांसलर डॉ एसके नारायण खेडकऱ ने कहा कि भारत डिफेंस में बेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग करने में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होने की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने बताया कि इसरो आगामी वर्षों में कुछ चुनिंदा प्रोजेक्ट्स को करने की योजना बना रहा है जिनमें चंद्रयान-3, आदित्य-1, भारतीय शुक्र आर्बिटर मिशन, मंगलयान-2 तथा बृहस्पति मिशन हैं। मंगलयान-2 को 2024 में लॉन्च करने का निश्चय किया गया है। यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ एसएस भाकर ने विश्व स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी और नए इनोवेशन का जिक्र किया। प्रो वाइस चांसलर डॉ एसके नारायण खेडकऱ ने कहा कि भारत डिफेंस में बेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग करने में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होने की ओर बढ़ रहा है।