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सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भगवान आदिनाथ के संदेश को जीवन में उतारें

- जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का मोक्ष कल्याणक दिवस मनाया

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सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भगवान आदिनाथ के संदेश को जीवन में उतारें

सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भगवान आदिनाथ के संदेश को जीवन में उतारें

ग्वालियर. भगवान आदिनाथ का संदेश है कि ऋषि बनो या कृषि करो। आज पूरा विश्व उन्हीं के बताए मार्ग पर चलकर अपना जीवन यापन कर रहा है। जैन धर्म के सिद्धांत प्रारंभ से ही अहिंसा के सिद्धांत रहे हैं। सभी को भगवान आदिनाथ ने सत्य अहिंसा का पालन करते हुए अपने जीवन को जीना है और पूरे विश्व को अहिंसा का संदेश देना है। यह बात गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी ने शुक्रवार को विनय नगर स्थित महावीर दिगंबर जैन मंदिर में भगवान आदिनाथ के मोक्ष कल्याणक दिवस पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी ने आगे कहा कि भगवान आदिनाथ जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हैं। सभी तीर्थंकरों के पांच कल्याणक होते हैं, जिनमें गर्भ कल्याणक, जन्म, तप, ज्ञान और अंतिम कल्याणक मोक्ष कल्याणक होता है। मोक्ष कल्याणक में तीर्थंकर शरीर, कर्म आदि से मुक्त होकर सिद्घ हो जाते हैं और उनका पुन: संसार में आवागमन नहीं होता है। इस मौके पर पवन जैन, संजीव जैन, राजेन्द्र जैन, जयप्रकाश जैन, धर्मेंद्र जैन, आशीष जैन, विकास जैन, मनोज जैन, रोहित जैन, देवेंद्र जैन ने श्रीफल भेंटकर मंगल आशीर्वाद लिया। संचालन विधानचार्य राजेन्द्र जैन ने किया।

इंद्रों ने किया भगवान आदिनाथ का अभिषेक
माताजी ससंघ के सानिध्य में पं.राजेन्द्र जैन ने मंत्रों से सौधर्म इंद्रों ने पीले वस्त्र धारण कर भगवान आदिनाथ का कलशों से जयकारों के साथ अभिषेक किया। गणिनी आर्यिका ने मंत्रों का उच्चारण कर भगवान आदिनाथ के मस्तक पर वृहद शांतिधारा की। इन्द्र-इन्द्राणियों ने भक्तामर विधान के साथ भगवान आदिनाथ की अष्टद्रव्यों से पूजन कर अघ्र्य समर्पित किए। वहीं पूजन के बाद निर्वाण काण्ड का वाचन करते हुए 11 किलो के तीन निर्वाण लाडू समर्पित किए गए।