25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

विशाल कुंड से यहां निकला शिवलिंग,काशी की भस्म से होता है भगवान कुंडेश्वर का अभिषेक

सावन के महीनों में भी यहां पर भक्तों का सैलाव उमड़ता है। साथ ही बड़ी संख्या में साधु भी यहां पर डेरा डाले रहते हैं।

2 min read
Google source verification
maha shivaratri date 2018

ग्वालियर/भिण्ड। महाशिवरात्रि पर्व 14 फरवरी को देश भर में मनाया जाएगा। पंडितों के मतानुसार चतुर्दशी का उदय 13 फरवरी को होने जा रहा है। लेकिन सूर्योदय काल 14 फरवरी को होगा। इसलिए इसी दिन महाशिवरात्रि पर्व मनाते हुए भगवान शिव व पार्वती का विवाहोत्सव मनाया जाएगा। भगवान शिव का का इस दिन जलाभिषेक व व्रत का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि पर्व को लेकर भिण्ड के इंदिरा चौक के पास स्थित कुंडेश्वर महादेव का मंदिर का भगवान वनखंडेश्वर के बाद दूसरा स्थान है। इस मंदिर में विराजित शिवलिंग का अभिषेक प्रतिदिन काशी से आने वाली श्मशान की भस्म से होता है।

यह भी पढ़ें: maha shivratri 2018 date in india : 1000 फीट से ऊंची पहाड़ी पर विराजमान है बाबा अलोपीशंकर

साथ ही यहां पर २४ घंटे जलता रहने वाला शिवजी का धूना जिले भर के भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। करीब ४५० साल पहले यहां पर स्थित विशाल कुंड से शिवलिंग निकला था। यही कारण है कि यहां पर विराजमान शिवजी को कुंडेश्वर के नाम से जाना जाता है।

यह भी पढ़ें: 350 साल पुराना किला जिसके दरवाजे से आज भी टपकता हैं खून!,पढि़ए किले की अनसुनी कहानी

मंदिर की देखभाल उदासीन संप्रदाय के आश्रम इटावा की ओर से की जाती है। साथ ही भक्तों की मान्यता है कि यहां पर लगातार आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

यह भी पढ़ें: MP का ऐसा मंदिर जहां 850 साल से जल रही है अखंड ज्योति,देश में विख्यात है इसकी महिमा

गांव के बुजुर्ग लोगों ने बताया कि सैकड़ों साल पहले नि:संतान सर्राफ बैजनाथ सोनी के भगवान शिवजी की कृपा से चार बेटे हुए थे। इसके बाद सोनी जी ने ही यहां पर शिवलिंग की स्थापना कराई थी।

यह भी पढ़ें: बड़ी खबर : सालों बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा है यह योग ,शिव भक्तों के लिए है बड़ी खुशखबरी

बाद में भक्तों के सहयोग से मां दुर्गा तथा हनुमान जी के मंदिरों का निर्माण कराया गया है शिवरात्रि ?ि पर यहां पर बड़ी संख्या में भक्त कांवर चढ़ाने ेके लिए आते हैं। साथ ही सावन के महीनों में भी यहां पर भक्तों का सैलाव उमड़ता है। साथ ही बड़ी संख्या में साधु भी यहां पर डेरा डाले रहते हैं।

यह भी पढ़ें: इस मंदिर के दर्शन करने के बाद ही नव वर-वधु वैवाहिक जीवन में करते है प्रवेश,ऐसी है इनकी महिमा

वहीं कुं डेश्वर धाम के महंत मोहन मुनि ने बताया कि कुंडेश्वर भगवान का प्रतिदिन काशी से लाई गई भस्म से अभिषेक होता है। धूना जलाने की परंपरा इस मंदिर के अलावा कहीं अन्य स्थानों पर नहीं है। मंदिर करीब ४५० साल पुराना है जो आस्था का केंद्र है। उन्होंने बताया कि यहां हर साल महाशिवरात्री पर हजारों की संख्या में भक्तगण आते हैं।