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Maintenance Case: अपनों से परेशान हैं बुजुर्ग, बेटा- बहू दे रहे धमकी, बुढ़ापे में छोड़ रहे साथ !

ग्वालियर। रमेश चंद्र का बेटा शासकीय सेवा में है। सोचा था बेटा सहारा बनेगा, लेकिन बेटे ने बुढापे में उनका साथ छोड़ दिया। जीवन खर्च के लिए रुपए भी नहीं दिए। ये कहानी अकेले रमेश चंद्र की नहीं है। कलेक्ट्रेट में इस तरह से परेशान होने के बाद भरण पोषण के लिए कई आवेदन आए हैं। लेकिन ग्वालियर, झांसी रोड, मुरार क्षेत्र की बजाए लश्कर में भरण पोषण के केस अधिक हैं।

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Maintenance Case

पिछले छह महीने में करीब 27 मामले एसडीएम के यहां लश्कर के पहुंचे हैं। जिनमें बहू व बेटा ने सेवा नहीं की, सहारा नहीं दिया तो प्रशासन का सहारा लेना पड़ा है। आदेश का पालन नहीं किया तो दोबारा भी बुजुर्ग एसडीएम के पास पहुंचे हैं।

लश्कर क्षेत्र के तत्कालीन एसडीएम (वर्तमान में झांसी रोड) विनोद सिंह का कहना है कि उन्हें लश्कर में ज्यादा केस देखने को मिले हैं। रमेश चंद्र ने एसडीएम के यहां भरण पोषण का आवेदन लगाया। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि वृद्धावस्था की वजह से चलने फिरने में असमर्थ हैं, शारीरिक रूप से परेशान हैं, लेकिन उनका बेटा देखरेख नहीं करता है, खर्च के लिए रुपए भी नहीं देता है। बेटे ने जवाब दिया कि उसे सेवा में कोई दिक्कत नहीं है। उसकी पत्नी से मनमुटाव रहता है, इस कारण झगड़ा होता है। एसडीएम ने 8 हजार 500 रुपए महीने भरण पोषण निर्धारित किया है।

केस-1: बेटा- बहू दे रहे धमकी, मकान पर कब्जा

फूल सिंह ने भरण पोषण के लिए आवेदन किया है। उन्होंने बेटे पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। मकान पर कब्जे का भी आरोप लगाया है। बेटा व बहू धमकियां भी दे रहे हैं। उनसे मकान खाली कराया जाए।

केस-2: दवा के लिए रुपए नहीं, भरण पोषण की मांग

जगदीश के तीन बेटे हैं। दो बेटों ने सेवा करना बंद कर दिया। बड़ा बेटा ही देखभाल कर रहा था, लेकिन दवाईयों के लिए पर्याप्त रुपए नहीं होने से भरण पोषण की मांग की।

सुनवाई के दौरान ये कारण आए सामने, जिससे बढ़े केस

-लश्कर क्षेत्र में घनी आबादी है। यहां संपत्तियां बंटने के बाद काफी छोटी हो गई हैं। छोटी-छोटी बातों को लेकर लड़कों में झगड़े हो रहे हैं। इसका असर सीधा माता-पिता पर पड़ता है।

-लड़कों की कमाई कम है। खुद के खर्च के लिए रुपए नहीं हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता को खर्च नहीं दे पाते हैं।

-महिलाओं का व्यवहार खराब होने की वजह से घर से निकालने की भी नौबत आ जाती है।

-परिवार बड़ा होने की वजह से भी परेशानी बढ़ी है।

न्यायालय में भी आने लगे हैं भरण पोषण के केस

● कुटुंब न्यायालय में भी माता-पिता भरण पोषण के केस दायर करने लगे हैं। क्योंकि न्यायालय से जारी आदेश का पालन नहीं होता है, तो कोर्ट बेटों को जेल भेजने की कार्रवाई कर सकता है।

● कुटुंब न्यायालय में नगर निगम सीमा के अधिक केस आते हैं। धारा 125 के तहत केस दायर किए जाते हैं।