Heavy Rain Alert: विभाग के अनुसार विदिशा, सीहोर, सागर, रायसेन, नर्मदापुरम, बैतूल, छतरपुर, दमोह, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, पन्ना, कटनी, जबलपुर, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर और उमरिया में भारी बारिश का दौर बना रहेगा।
Heavy Rain Alert: एमपी के ग्वालियर बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र की वजह से मानसून हिमालय की तराई से लौट आया है। इस कारण शहर में झमाझम बारिश हुई। आधा घंटे में डेढ़ इंच (38 मिमी) बारिश दर्ज हुई। शहर पानी-पानी हो गया। सड़कों पर घुटनों तक पानी भर गया। इस बारिश से उसम से राहत मिली। औसत बारिश का कोटा भी पूरा हो गया है।
पहली ऐसा हो रहा है कि जुलाई में औसत का कोटा पूरा हुआ है। वैसे अगस्त या सितंबर में होने वाली बारिश से औसत बारिश की पूर्ति होती थी। अगस्त व सितंबर में जो बारिश होगी, उससे रिकॉर्ड बनेगा।
मौसम विभाग ने अगले चार दिनों तक गरज चमक के साथ बारिश का अलर्ट जारी किया है। उसके बाद अगस्त में बादलों का बरसना शुरू होगा। दरअसल मानसून ट्रफ लाइन हिमालय की तराई में पहुंच गई थी। इस कारण बारिश थम गई। आसमान साफ हो गया है। ग्वालियर प्रदेश में सबसे ज्यादा गर्म हो गया। तेज धूप के कारण उमस बढ़ गई।
दिन व रात में उसम भरी गर्मी ने लोगों को बेहाल कर दिया। लोग बारिश का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अचानक मौसम में बदलाव आया। झमाझम बारिश हुई। बारिश से सीवर लाइनें उफन गई और सड़कों पर पानी जमा हो गया।
आगे क्या
मौसम विभाग ने 20 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। विभाग के अनुसार विदिशा, सीहोर, सागर, रायसेन, नर्मदापुरम, बैतूल, छतरपुर, दमोह, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, पन्ना, कटनी, जबलपुर, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर और उमरिया में भारी बारिश का दौर बना रहेगा। अगले 24 घंटे में इन जिलों में साढ़े 4 इंच तक पानी गिर सकता है। इससे पहले नर्मदापुरम के इटारसी में बाढ़ जैसे हालात रहे। भोपाल, इंदौर समेत 20 से ज्यादा जिलों में बारिश हुई।
मानसून सीजन 122 दिन का होता है। 122 दिन में 751 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन 17 जून को मानसून आने के बाद से लगातार बारिश हुई। 122 दिन में जितनी बारिश होती थी, उतना पानी 37 दिन में बरस गया। मानसून सीजन के 68 दिन शेष हैं। अगस्त में भारी बारिश होती है। सितंबर में लौटते हुए मानसून से बादल बरसते हैं। अगस्त व सितंबर में बारिश का ऐसा ही ट्रेंड रहा तो औसत का कोटा 1000 मिलीमीटर के ऊपर पहुंचने की संभावना है।