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हाई कोर्ट की दो टूक- हवाई फायरिंग समाज के खिलाफ अपराध, जानें क्या है मामला?

MP High Court: हवाई फायरिंग को लेकर हाईकोर्ट सख्त, समझौते के मामले की याचिका खारिज, जानें क्या है मामला...

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MP High Court

MP High Court (फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

MP High Court: हाई कोर्ट ने हवाई फायर के एक मामले को समझौते (Compromise petition) के आधार पर निरस्त करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने हवा (Air Firing) में गोली चलाकर भय पैदा किया। भले ही गोली किसी को नहीं लगी, लेकिन इसकी गंभीरता कम नहीं हो जाती है। यह अपराध समाज के खिलाफ भी है।

जानें हाईकोर्ट ने क्या कहा?

हाई कोर्ट (MP high Court) ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए एफआइआर को रद्द किया जा सकता है। एफआइआर निरस्त करने के लिए जिस तरह याचिका लगाई है, उसे देखकर लग रहा है कि लोगों ने अपने स्वयं के विवाद खत्म करने के लिए पुलिस (MP Police) के वैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। याचिकाकर्ता से पूछा गया कि पुलिस को आपराधिक कार्रवाई व जांच में लगाने के लिए कितना मुआवजा भुगतान करेंगे।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने मुआवजा देने से मना कर दिया। इस पर कोर्ट ने मुआवजा नहीं देने पर याचिका खारिज कर दी। गौरतलब है कि मामले में शिकायतकर्ता रायसिंह जाट के बेटे को डराने के लिए मोनू जाट ने हवाई फायर किया था। यह गोली कार में लगी थी।

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