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भिंड कलेक्टर के साथ ही ग्वालियर की रुचिका चौहान भी मुश्किल में, सजा सुनाएगा एमपी हाई कोर्ट!

MP High Court: कलेक्टर को कोर्ट की फटकार: अधिकारी ऑफिस में बैठकर खुद को शेर समझते हैं, किसी की सुनते भी नहीं, ग्वालियर कलेक्टर अवमानना की दोषी, दंड पर सुनवाई के लिए 11 को रहना होगा हाजिर, पीडब्ल्यूडी के उपयंत्री की वेतन बकाए के भुगतान का मामला

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MP High Court case status

MP High Court case status: ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान तथा भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव.

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अवमानना याचिका में कलेक्टर रुचिका चौहान को फटकार लगाई। कोर्ट ने कलेक्टर से सवाल पूछते हुए कहा कि अधिकारी ऑफिस में बैठकर खुद को शेर समझते हैं। किसी की सुनते नहीं है। कोर्ट को भी नहीं गिन रहे। कोर्ट ने सवाल किया कि प्रकरण में आपने क्या कार्रवाई की, कलेक्टर ने कहा कि तहसीलदार को तलब किया है। पीडब्ल्यूडी की सेंट्रल पार्क के सामने वाली संपत्ति को कुर्क किया गया है। कोर्ट ने कलेक्टर रुचिका चौहान को अवमानना के लिए दोषी मानते हुए दंड पर सुनवाई के लिए 11 मार्च को तलब किया है।

दरअसल रामकुमार गुप्ता को पीडब्ल्यूडी में उपयंत्री के पद पर वर्गीकृत किया गया था। वर्गीकृत किए जाने के बाद वेतन की राशि का भुगतान नहीं किया। इसको लेकर लेबर कोर्ट ने 17 लाख 61 हजार रुपए की आरआरसी जारी कर दी, लेकिन विभाग ने राशि का भुगतान नहीं किया। इसको लेकर रामकुमार गुप्ता ने हार्ईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक अग्रवाल ने तर्क दिया कि 2018 में आरआरसी पालन का आदेश दिया, लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। 2018 से अवमानना याचिका भी दायर की गई। कलेक्टर ने आरआरसी का पालन नहीं कराया गया। सात साल बीत गए हैं। शुक्रवार को कलेक्टर सुबह 10:30 कलेक्टर न्यायालय पहुंची। कोर्ट ने आदेश का पालन नहीं कराए जाने पर फटकार लगाई।

भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव मुश्किल में

हाईकोर्ट ने भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर ने कोई सबक नहीं सीखा है। उनके द्वारा पीडब्ल्यूडी की संपत्ति कुर्क करना दिखावा मात्र है। ऐसा अधिकारी फील्ड में रहना चाहिए या नहीं, मुख्य सचिव खुद यह तय करें। आदेश की कॉपी मुख्य सचिव को भी भेजी जाएगी। कोर्ट ने अवमानना के लिए दोषी मानते हुए 11 मार्च को 10:30 बजे हाईकोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है। उन्हें दंड पर सुना जाएगा।

भिंड कलेक्टर ने सुभाष सिंह भदौरिया के केस में पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश की। उन्होंने बताया कि 31 जुलाई-2023 को पदभार ग्रहण किया। अवमानना याचिका 23 फरवरी-2024 को सूचीबद्ध की गई। तहसीलदार ने 22 फरवरी-2024 को आरआरसी निष्पादन के लिए प्रकरण पंजीकृत किया। 13 मई-2024 को पीडब्ल्यूडी की संपत्ति कुर्क की गई। इसके बाद संपत्ति नीलाम की गई। नीलामी से 20 हजार 200 रुपए आए। व्यय काटने के बाद 15 हजार 614 रुपए श्रम न्यायालय में जमा कर दिए। चल संपत्ति नीलामी से पर्याप्त धनराशि नहीं आने से आरआरसी निष्पादित नहीं की जा सकी। अब पीडब्ल्यूडी की अचल संपत्ति कुर्क की गई। हाईकोर्ट कलेक्टर के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ।


कोर्ट ने जताई हैरानी कि खर्च वसूल करने में रुचि दिखाई

  • कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि भिंड कलेक्टर चल संपत्ति की नीलामी में हुए खर्च को वसूल करने में दिलचस्पी रखते थे। कलेक्टर ने अवमानना याचिका क्रमांक 6463/2025 में एक झूठा दावा किया कि पीडब्ल्यूडी के पास भिंड में कोई अचल संपत्ति नहीं है। कोर्ट ने इस दलील को गंभीरता से लिया, तो कलेक्टर ने अचल संपत्ति भी कुर्क कर ली। मालनपुर स्थित पीडब्ल्यूडी का विश्राम गृह भी कुर्क कर लिया। इनके द्वारा कुर्क की जो कार्रवाई की है, वह दिखावा मात्र है। कुर्की में दिखाया गया कि कुर्की न्यायालय के आदेश पर की गई है।
  • कोर्ट ने कलेक्टर से कुर्की के संबंध में सवाल किया कि क्या न्यायालय ने इसका कोई आदेश दिया। इस पर कलेक्टर को अपनी गलती का अहसास हुआ। कलेक्टर ने कुर्की का बेहतर ढंग से निष्पादन करने को कहा। कोर्ट ने इस स्थिति को देखने के बाद कहा कि कलेक्टर ने कोई सबक नहीं सीखा।

क्या है मामला



सुभाष सिंह भदौरिया ने अपने वेतन का बकाया लेने के लिए हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। बकाया राशि के लिए आरआरसी जारी हो चुकी है। बावजूद इसके पैसा नहीं दिया गया। इस मामले में भिंड कलेक्टर को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि भिंड कलेक्टर ने पहले भी न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि भिंड में पीडब्ल्यूडी की कोई संपत्ति नहीं है। जब कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया तो अपनी गलती का अहसास हुआ। कलेक्टर ने माफी मांगते हुए आदेश का पालन करने के लिए कहा, लेकिन फिर से वैसी ही स्थिति रही।

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