कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसमें मुख्यतया ब्रह्माजी और उनके द्वारा निर्मित सृष्टि के प्रमुख देवी-देवताओ, यक्ष-राक्षस, गंधर्व, ऋषि-मुनियों, नदियों, पर्वतों, पशु-पक्षियां और कीट पतंगो का ही नहीं, रोगों और उनके उपचारों तक का भी पूजन किया जाता है। इस दिन आंध्रप्रदेश प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट में सारे घरों को आम के पेड़ की पत्तियों के बन्दनवार से सजाया जाता है। सुखद जीवन की अभिलाषा के साथ-साथ यह बन्दनवार समृधि व अच्छी फसल के भी परिचायक हैं। `उगादि´ के दिन ही पंचांग तैयार होता है। चैत्रा मास की शुक्ल प्रतिपदा को महाराष्ट में गुड़ीपडवा कहा जाता है। वर्ष के साढे तीन मुहूर्तों में गुड़ीपड़वा की गिनती होती है। शालिवाहन शक का प्रारंभ भी इसी दिन से होता है।