
ग्वालियर। 10 सितम्बर से शुरू हुए श्राद्ध पक्ष में लोग अपने पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध करते है और जल में तर्पण कराकर उन्हें पानी का अर्ध्य देते हैं। इस दौरान ब्राह्मणों को भोज कराया जाता है और दान पुण्य भी किया जाता है। लेकिन कई लोग जो नौकरी के चलते बहार देशों में रहते हैं, वे समय की व्यस्तता के कारण पूर्वजों का श्राद्ध कराने में असमर्थ रहते हैं। बाहर देशों में ब्राह्मणों का मिलना भी मुश्किल होता है। ऐसे में उनके मन में अपने स्वजनों की आत्मा को श्राद्ध न कराने की ठेस रह जाती है। लेकिन धर्मगुरुओं के मुताबिक केवल श्राद्ध करके ही पूर्वजों को खुश नहीं किया जा सकता। इसकी जगह ध्यान धूप से भी मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जा सकती है।
गाय के कंडे पर गुड़ और घी अर्पण करें
पितरों की शांति के लिए गाय के कंडे को गरम कर उसपर गुड़ और घी का अर्पण करें और पूर्वजों का ध्यान करें इससे पितरों को शांति मिलती है। यदि पूर्वजों की मृत्यु तिथि याद न हो तो पितृपक्ष अमावस्या पर ये कार्य किये जा सकते हैं। इस बार २५ सितम्बर को अमावस्या मनाई जाएगी। सुबह और शाम का समय देवी देवताओं के पूजन का समय होता है। इसलिए दोपहर को पितरों का श्राद्ध व धूप ध्यान करना चाहिए।
दान पुण्य करने से भी मिलता है लाभ
पूर्वजों का श्राद्ध न कराने की अवस्था में यदि जरूरतमन्दों को दान किया जाये, इससे भी पितरों को शांति मिलती है। पितरों का ध्यान कर गरीबों को कपड़े चप्पल, खाद्य सामग्री आदि का दान किया जा सकता है। इस दौरान किसी से झगड़ा नहीं किया जाना चाहिए। शांतिपूर्वक जनोपयोगी कार्य करने चाहिए। ऐसा कहा जाता है, दूसरों की सेवा करने वाले मनुष्यों से पितृ भी खुश होते हैं।
Published on:
15 Sept 2022 08:10 pm
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