
मां-बाप बोलते हैं... बेटा साथ नहीं रखता
ग्वालियर. अगर बेटा अपने मां-बाप को साथ नहीं रखना चाहता, उन्हें तंग करके घर से निकाल देता है, उनके बनाए हुए मकान पर कब्जा कर लेता है, ऐसे बुजुर्ग मां-बाप की सुनवाई के लिए एसपी ऑफिस में आलंबन सेल बनाया गया है। जहां पुलिस और काउंसलर की टीम रहती है, जो ऐसे पीडि़तों की सुनवाई करती है। सिर्फ एक बार ही नहीं दो-तीन बार उनकी सुनवाई होती है। कुछ तो समझ जाते हैं और मां-बाप से माफी मांगकर दोबारा गलती न करने की कसम खा लेते हैं। ऐसे कई पिता-पुत्र और मां-बेटे को आलंबन सेल की टीम ने मिलवाकर उनके घर को टूटने से बचाया है। लेकिन कुछ हठी लोग भी होते हैं, उन्हें कितना भी समझाओ वह नहीं मानते हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ संबंधित थाने में कार्रवाई की जाती है। इस संबंध में पत्रिका एक्सपोज ने आलंबन सेल की प्रभारी सरोज जोन से चर्चा की।
आलंबन सेल में किस तरह के मामले ज्यादा आते हैं?
एक तो बेटे द्वारा सताए गए मां-बाप होते हैं, जिन्हें मारपीट करके घर से निकाल दिया जाता है। दूसरे मकान संबंधी मामले होते हैं, जिन पर बेटा अपना कब्जा जमाकर बैठ जाता है।
आलंबन सेल की टीम किस प्रकार इन समस्याओं का निराकरण करती है?
शिकायत आने पर हम दोनों पक्षों को समझाते हैं। बारी-बारी से दोनों से बातचीत करते हैं, फिर एक साथ बैठाकर समझाते हैं। बेटे को समझाते हैं कि जिन्होंने तुम्हें पालकर बड़ा किया, इस काबिल बनाया कि पैरों पर खड़े हो, अगर तुम्हारे बेटे तुम्हारे साथ ऐसा करें तो क्या होगा। कुछ लोगों की समझ में आ जाता है, कुछ नहीं मानते हैं तो संबंधित थाना उन पर कार्रवाई करता है।
रोजाना इस तरह के कितने मामले सामने आ रहे हैं?
रोजाना तीन-चार मामलों की हमारे यहां सुनवाई की जा रही है। हमारा प्रयास रहता है कि दोनों पक्षों को समझाकर उनमें एका कराकर घर भेजें। ताकि उनका परिवार टूटने से बच जाए।
कितने लोगों की टीम इस काम में लगी हुई है?
पुलिस स्टाफ के अलावा 10 काउंसलर हैं। हर दिन दो-दो काउंसलर की ड्यूटी रहती है, जो
दोनों पक्षों को समझाने का काम करती हैं।
Published on:
05 Mar 2020 08:56 pm
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