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ग्वालियर। शराब की दुकान पर झगड़ा व मारपीट करने के मामले में पुलिस द्वारा की गई शिकायत पर सवाल उठने लगे हैं। लाजिमी भी है,क्योंकि शराब ठेकेदारों ने जिन दो लोगों के खिलाफ शिकायत पेश की थी, उनमें से सिर्फ एक के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है। दूसरे को शायद इसलिए बख्श दिया गया, क्योंकि वह पुलिस विभाग में ही बतौर आरक्षक पदस्थ है। शराब ठेकेदार सुरेश उपाध्याय व शैलेन्द्र सिंह तोमर ने एक शिकायती आवेदन पुलिस को दिया था। जिसमें कहा गया था कि २३ नवंबर को पुलिस आरक्षक सुनील सेंगर तथा उसके साथी भोलू शर्मा ने दुकान पर आकर मुफ्त में शराब मांगी।
डिमांड ज्यादा थी,इसलिए जब उसे पूरा करने से इनकार किया गया तो सुनील सेंगर व भोलू शर्मा ने दुकान में घुसकर झगड़ा किया और सेल्समैन के साथ मारपीट भी की। शिकायती आवेदन प्रस्तुत किए जाने के बाद कोतवाली पुलिस ने शराब ठेकेदार शैलेन्द्र सिंह तोमर की रिपोर्ट पर भोलू शर्मा नामक युवक के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है,लेकिन आरक्षक सुनील सेंगर को इस प्रकरण में आरोपी नहीं बनाया गया है। पुलिस की इस कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण ठहराते हुए सवाल उठाए जाने लगे हैं। लोगों का कहना है कि जब अपराध एक जैसा है, तो कार्रवाई अलग-अलग क्यों?
पुख्ता साक्ष्य, फिर भी कार्रवाई नहीं
शराब की दुकान पर झगड़ा व मारपीट के मामले में पुलिस आरक्षक के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई न किए जाने पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि शराब ठेकेदारों ने उसके खिलाफ पुख्ता साक्ष्य भी सौंपे हैं। बताया गया है कि २३ नवंबर को दुकान में मारपीट की घटना का सीसीटीवी फुटेज पुलिस को दिया गया है। इसके अलावा वह ऑडियो भी बतौर साक्ष्य पुलिस को उपलब्ध कराया गया है, जिसमें आरक्षक शराब ठेकेदार को धमका रहा है।
ऊपर तक शिकायत करेंगे ठेकेदार
शराब की दुकान पर आरक्षक व उसके साथी द्वारा मारपीट किए जाने और फिर फोन पर धमकी देने के मामले में यथोचित कार्रवाई न होने से शराब ठेकेदार असंतुष्ट हैं। आवेदन सौंपने वाले सुरेश उपाध्याय का कहना है कि असल दोषी तो पुलिस आरक्षक ही है। कायदे से उसके खिलाफ भी आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए था। लेकिन पुलिस ने उसका बचाव किया है। पुलिस ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की है। इस मामले में हम पुलिस विभाग के आला अधिकारियों से भी शिकायत करेंगे।
"शिकायत में जिस आरक्षक का नाम आया है, उसे संबंधित क्षेत्र से हटा दिया गया है। उसके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू हो गई है। आपराधिक प्रकरण में उसका नाम क्यों नहीं आया, इसे हम दिखवाते हैं।"
अनुराग सुजानिया,अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक
Updated on:
28 Nov 2017 03:15 pm
Published on:
28 Nov 2017 02:58 pm
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