
आलू बीज का संकट, 4500 क्विंटल ही तैयार
ग्वालियर. आलू अनुसंधान केंद्र में तैयार आलू के बीज की मांग देश भर में है। यहां से आलू का बीज देश के कई राज्यों में जाता है। इसी को लेकर यहां बीज को तैयार किया जाता है। लेकिन एयरपोर्ट विस्तर के चलते आलू अनुसंधान की जमीन लेने के साथ एक साल से आवारा जानवरों के कारण बीज पर इस बार संकट आ गया। हालात यह है कि हर साल यहां पर छह हजार विक्ंटल तक बीज तैयार होता था, लेकिन इस बार मुश्किल से साढ़े चार हजार विक्ंटल बीज उपलब्ध हो पाया है। आलू अनुसंधान कें द्र 55 हेक्टेयर जमीन पर इस बार 35 हेक्टेयर पर जमीन पर आलू का बीज डाला गया था। अभी काफी जमीन पहाड़ी, रोड आदि में आ गई है।
चार प्रदेशों में तैयार होता है बीज
देश में चार आलू अनुसंधान केंद्रों पर आलू तैयार होते है। जिसमें ग्वालियर, मेरठ, जालंधर और पटना शामिल है। वहीं ग्वालियर में तैयार बीज को मध्य प्रदेश के साथ उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, ओडिशा और बिहार तक जाता है।
यह वैरायटी है आलू की
आलू अनुसंधन केंद्र में सूर्या, ज्योति, चंद्रमुखी, चिप्सोना 3, सिंदूरी, करन, किरण, लवकार, थार टू, पुखराज आदि वैरायटी तैयार होती है। इन बीजों को यहीं पर टैस्टिंग कराने के बाद दूसरे राज्यों के साथ किसानों को दिया जाता है।
एक साल से ट्यूबबैल की सप्ताई टूटी
एयरपोर्ट की बाउंड्री के किनारे से ही आलू अनुसंधान की जमीन पर लगी पानी की पाइप लाइन खुदाई में टूट गई थी। वहीं एक साल से दो ट्यूबबैल को जोडऩे वाली बिजली की सप्लाई की लाइन टूटी पड़ी है। इससे पानी के लिए परेशानी आ रही है।
इस बार बीज पर पड़ा असर
इस बार आलू के बीज पर काफी प्रभाव पड़ा है। इसका मुख्य कारण एयरपोर्ट निर्माण के बाद अनुसंधान की टूटी बाउंड्री और पानी की कमी रही। व्यवस्थाओं को बनाने के लिए कलेक्टर, नगर निगम , एयरपोर्ट डायरेक्टर को कई बार लिखित में शिकायत की जा चुकी थी।
डॉ. सुभाष कटारे, केंद्र प्रमुख केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र
Published on:
27 Feb 2024 11:03 pm
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