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कैदियों पर कसेगी ‘डिजिटल नकेल’… जेल में एंट्री पर होगी बायोमेट्रिक स्कैनिंग, हर बंदी की बनेगी ‘कुंडली’ अपराध करने पर मिनटों में होगी पहचान

जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने और बंदियों पर पैनी नजर रखने के लिए मध्यप्रदेश की सभी जेलों में अब अत्याधुनिक डिजिटल निगरानी प्रणाली लागू की जा

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biometric scaning in jail

ग्वालियर. जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने और बंदियों पर पैनी नजर रखने के लिए मध्यप्रदेश की सभी जेलों में अब अत्याधुनिक डिजिटल निगरानी प्रणाली लागू की जा रही है। इस पहल के तहत, प्रत्येक बंदी की एक विस्तृत ‘डिजिटल कुंडली’ बनाई जाएगी, जिसमें उनकी बायोमेट्रिक जानकारी दर्ज होगी। जैसे ही कोई बंदी जेल में कदम रखेगा, एंट्री प्वाइंट पर उसकी बायोमेट्रिक स्कैनिंग होगी, जिसमें उसकी आंख, चेहरे और उंगलियों के निशान स्कैन किए जाएंगे। इसके अलावा, डीएनए प्रोफाइङ्क्षलग के लिए ब्लड सैंपल भी लिया जाएगा।

यह सारा डेटा नेशनल ऑटोमेटेड फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम ( एनएएफआइएस ) के केंद्रीय रिकॉर्ड में जमा होगा, जिसे नेशनल क्राइम रिकॉड्र्स ब्यूरो ( एनसीआरबी ) संचालित करता है। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रदेश भर की जेलों को 17 उपकरण मुहैया कराए हैं, जिनमें ग्वालियर सेंट्रल जेल को भी स्कैनिंग किट प्राप्त हो चुकी है।

आइसीजेएस पोर्टल से जुड़ेगा डेटा, ई-पेशी में भी मददगार

यह नई प्रणाली इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम ( आइसीजेएस ) पोर्टल से भी जुड़ेगी, जिसके तहत अदालतें, पुलिस और जेल एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। वर्तमान में बंदियों को पेशी पर अदालत ले जाने की बजाय उनकी ई-पेशी कराई जा रही है।

ऐसे काम करेगी किट… जेल से बाहर निकलने पर भी ‘रडार’ पर रहेंगे बंदी

जेल अधिकारियों का कहना है कि जेल से निकलने के बाद भी कैदी ‘रडार’ पर रहेंगे। इसका फायदा यह होगा कि अगर वह देश में कहीं भी अपराध करता है और सीसीटीवी कैमरे में कैद होता है या मौके पर फिंगर प्रिंट मिलते हैं, तो नेफिस के रिकॉर्ड में दर्ज उसकी आंखों के रेटिना, चेहरे के फोटो और फिंगर प्रिंट के माध्यम से उसकी तत्काल पहचान हो सकेगी।

जेल में बनेगा स्कैनिंग कक्ष…

बंदियों की बायोमेट्रिक स्कैनिंग के लिए एनसीआरबी ने ग्वालियर की सेंट्रल जेल को आवश्यक उपकरण, जैसे बायोमेट्रिक मशीन, रेटिना स्कैनर, कैमरे और ब्लड सैंपङ्क्षलग किट सहित 17 उपकरण मुहैया कराए हैं। इन उपकरणों के लिए जेल में एक विशेष स्कैनिंग कक्ष तैयार किया जा रहा है।

स्कैनिंग प्रक्रिया

पुराने बंदी: बायोमेट्रिक डेटा भले ही पुलिस रिकॉर्ड में हो, लेकिन नई प्रक्रिया में इन सभी बंदियों को दोबारा डिजिटल स्कैन किया जाएगा।
नए बंदी: नाम, पता और जुर्म का ब्यौरा दर्ज कर स्कैनिंग रूम में ले जाया जाएगा। उंगली-अंगूठे के निशान लिए जाएंगे, रेटिना स्कैन होगा, चेहरे का कई एंगल से फोटो लिया जाएगा और डीएनए सैंपल भी लिया जाएगा।

सुरक्षा में कसावट, अपराधों पर लगाम कसेगी

जेल में बंदियों का बायोमेट्रिक स्कैन होगा। इससे जेल की सुरक्षा और बंदियों की निगरानी में कसावट होगी। बंदियों के फिंगर प्रिंट, आखों के रेटीना और चेहरे की स्कैनिंग से उनकी पहचान आसान होगी। इसके लिए जरिए बंदियों का किसी भी तरह का बाहरी संपर्क भी रडार पर रहेगा।
विदित सिरवैया जेल अधीक्षक ग्वालियर