
प्रॉपर ब्रांडिंग, स्टैंडर्ड होटल्स, प्रोफेशनल गाइड और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम से बढ़ेगा शहर का टूरिज्म
ग्वालियर.
ग्वालियर का हेरिटेज देश-दुनिया में अपनी पहचान रखता है। यहां कई ऐसे मॉन्युमेंट्स हैं, जो दुनिया में इकलौते हैं। फिरभी यहां जिस रफ्तार से टूरिस्ट की संख्या बढऩी चाहिए, वह नहीं है। 2015 में जहां ग्वालियर आने वाले डोमेस्टिक और फॉरेनर टूरिस्ट की संख्या लगभग सवा तीन लाख थी, वहीं 2019 में लगभग पौने 3 लाख रह गई है, जबकि इस संख्या को 5 लाख से अधिक पहुंचना चाहिए था। इसका एक कारण है ब्रांडिंग की भी कमी है। यदि हम कुछ चीजें सुधार लें, तो हमारे यहां का टूरिज्म काफी हद तक सुधर सकता है। इससे शहर और आसपास रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। आज वल्र्ड हेरिटेज डे है, जिसकी इस बार की थीम शेयर कल्चर, शेयर हेरिटेज और शेयर रिस्पांसिबिलिटी रखी गई है।
शहर की खासियत
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट के असिस्टेंट प्रो. चन्द्रशेखर बरुआ के अनुसार ग्वालियर हेरिटेज और रिलीजियंस में सबसे आगे है। हमारे यहां 5 म्यूजियम हैं, जिनमें जयविलास पैलेस, नगर निगम म्यूजियम, गूजरी महल, सरोद घर व एएसआई शामिल हैं। हेरिटेज की बात करें तो हिंदुस्तान में तीसरा सबसे बड़े क्षेत्रफल का फोर्ट है। इसके अलावा और भी कई मॉन्युमेंट्स हैं। रिलीजियंस में यहां मोहम्मद गौस का मकबरा, गुरुद्वारा, मोती मस्जिद व मंदिर आदि स्थापित हैं। मजाराज बाड़े पर सात शैलियों का आर्किटेक्चर देखने को मिलती है, जो देश-दुनिया में कहीं नहीं है।
टूरिज्म को प्रमोट करने ये कर रहे काम
शेयर कल्चर के तहत देशी-विदेशी टीमें 15 साल से कर रहीं पार्टिसिपेट
उद्भव सांस्कृतिक एवं खेल संस्थान की ओर से पिछले 15 साल में 'उद्भव इंटरनेशनल डांस फेस्टिवलÓ करता आ रहा है। इसमें देशी और विदेशी टीमें पार्टिसिपेट करती हैं। नवंबर के फस्र्ट वीक में होने वाले इस प्रोग्राम में लगभग 2 हजार से अधिक प्रतिभागी भाग लेते हैं। इसी प्रकार साल में कई बार शहर और प्रदेश के कलाकारों को भी विदेश जाकर परफॉर्म करने का मौका मिलता है। इसके माध्यम से वे अपनी संस्कृति का प्रसार कर पाते हैं। उद्भव के अध्यक्ष डॉ. केशव पांडे ने बताया कि फेस्टिवल के दौरान ही देश-विदेश से आने वाली टीमों को ग्वालियर के सभी मॉन्युमेंट्स के साथ ही मितावली, पड़ावली, बटेश्वर, ताज महल आदि भी दिखाया जाता है, जिससे वे हमारे रिच हेरिटेज की ब्रांडिंग अपने यहां कर सकें।
शैक्षणिक संस्थानों ने शुरू किए एक्सचेंज प्रोग्राम
शहर के कई शैक्षणिक संस्थान एक्सचेंज एजुकेशन प्रोग्राम के अंतर्गत स्टूडेंट्स और फैकल्टी को बाहर भेज रहे हैं। इससे दो फायदे हैं। पहला उनका एजुकेशन लेवल बढ़ रहा है और दूसरा वह संस्कृति और टूरिज्म से भी परिचित हो पा रहे हैं। इसी प्रकार अन्य देशों के स्टूडेंट्स भी हमारे ग्वालियर आ रहे हैं।
एक्सपर्ट व्यू
आइआइटीटीएम के असिस्टेंट प्रो. बरुआ बताते हैं कि हम टूरिज्म के क्षेत्र में आगे बढऩे के बजाए पीछे जा रहे हैं। यहां टूरिस्ट आने में इंट्रेस्ट नहीं दिखाते। पिछले कुछ वर्षों में टूरिस्ट के ग्वालियर आने का सेम आंकड़ा बना हुआ है, जबकि हमें बहुत आगे पहुंच जाना चाहिए था। यह चिंता का विषय है। पर्यटन के स्टेक होल्डर और शासन के स्तर पर मूलभूत आवश्यकताओं में परिवर्तन करने पर ग्वालियर क्षेत्र का पर्यटन बढ़ाया जा सकता है।
ऐसे बढ़ेंगे टूरिस्ट
-शहर में टूरिस्ट पुलिस स्टेबलेस हो।
-इंडियन टूरिज्म का ऑफिस ग्वालियर में हो।
-शहर के हेरिटेज की प्रॉपर ब्रांडिंग और मार्केटिंग हो।
-ट्रांसपोर्टेशन को लेकर कई खामियां हैं, जिन्हें दूर करना होगा।
-हेरिटेज पर प्रोफेशनल गाइड की नियुक्ति हो व सुरक्षा के इंतजाम हों।
-प्रदेश के अन्य शहरों की तरह ग्वालियर में भी नए होटल डवपल हों। हेरिटेज में आगे होने के बाद भी स्टैंडर्ड होटल कम हैं।
-शहर में ऐसे एक्सचेंज कल्चरल प्रोग्राम हों, जिसमें हम विदेशी कलाकार को अपने यहां और यहां के कलाकारों को वहां लेकर जा सकें। इससे संस्कृति का आदान प्रदान होगा, जो पर्यटन की दृष्टि से अच्छा है।
-शैक्षणिक संस्थान डोमेस्टिक और फॉरेन कंट्रीज के स्टूडेंट्स को ग्वालियर लेकर आएं और यहां के स्टूडेंट्स को वहां जाने का मौका मिले।
ये है हमारे यहां के टूरिज्म की स्थिति
2015- 3 लाख 7 हजार 969
2016- 2 लाख 77 हजार 525
2017- 2 लाख 80 हजार 526
2018- 2 लाख 87 हजार 055
2019- 2 लाख 65 हजार 816
2020- 56 हजार 749 यह आंकड़ा जनवरी से 7 मार्च तक का है।
Published on:
17 Apr 2020 11:19 pm
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