जरा सी लापरवाही भी नजरअंदाज नहीं होगी
जस्टिस पाठक ने कहा, वृक्षों की प्रगति पर निगरानी रखना विचारण न्यायालय का कर्तव्य है, क्योंकि पर्यावरण क्षरण के कारण मानव अस्तित्व दांव पर है और न्यायालय अनुपालन के बारेे में आवेदक द्वारा दिखाई गई किसी भी लापरवाही को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। इसलिए आवेदक अनुपालन के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे। इसकी एक संक्षिप्त रिपोर्ट प्रत्येक तीन माह में रखी जाएगी। पौधरोपण में या उनकी देखभाल में आवेेदक की ओर से की गई कोई भी चूक आवेदक को जमानत का लाभ लेनेे से वंचित कर सकती है। आवेदक को अपनी पसंद के स्थान पर इन पौधों को रोपने की स्वतंत्रता होगी। वह इन रोपेे गए पेड़ों की ट्री गार्ड या बाड़ लगाकर सुरक्षित कर सकता है या फिर उनके सुरक्षा उपायों का खर्च वहन कर सकता है।
यह निर्देश एक परीक्षण के तौर पर दिया गया है
न्यायालय ने यह निर्देश एक परीक्षण के तौर पर दिए हैं, ताकि हिंसा और बुराई के विचार का प्रतिकार, सृजन एवं प्रकृति के साथ एकाकार होने में सामंजस्य स्थापित किया जा सके। अभी मानव अस्तित्व के आवश्यक अंग के रूप में दया, सेवा, प्रेम एवं करूणा की प्रकृति को विकसित करने की आवश्यकता है क्योंकि यह मानव जीवन की मूलभूत प्रवृतियां हैं और मानव अस्तित्व को बनाए रखने के लिए इनका पुनर्जीवित होना आवश्यक है। यह प्रयास केवल एक वृक्ष के रोपण का प्रश्न न होकर बल्कि एकविचार के अंकुरण का है।