
गड्ढों में खो गई सडक़, राहगीर परेशान
ग्वालियर. हाईवे से शहर को जोडकऱ यातायात का दबाव कम करने के लिए बना सचिन तेंदुलकर मार्ग और हुरावली की सडक़ बेहद जर्जर है। क्षेत्र की टाउनशिप और पॉश कॉलोनियों में रहने वाले करीब 2 लाख लोग सडक़ बनने के बाद अमृत योजना के कामों के लिए सडक़ को फिर खोदे जाने की वजह से परेशान हैं। ठेकेदार ने खुदाई के बाद सडक़ को मिट्टी से समतल करके छोड़ दिया है, जिसकी वजह से लगभग हर 20 मीटर पर ऊंची-नीची सडक़ और गड्ढे बन गए हैं। हुरावली चौराहा के चारों ओर भी गड्ढों में सडक़ ढूंढनी पड़ती है। हुरावली चौराहे तक जाने वाली इन तीनों सडक़ों को मुख्यमंत्री अधोसंरचना मद से बनाया गया था। जिनकी लागत करीब डेढ़ करोड़ रुपए आई थी। शहर की सुविधा के लिए खर्च की गई यह रकम बेकार हो गई है।
ऐसा है सडक़ का हाल
ईओडब्ल्यू ऑफिस से हुरावली चौराहा : पॉश कॉलोनियों को जोडऩे वाली इस महत्वपूर्ण सडक़ पर पेट्रोल पंप, ईओडब्ल्यू जैसे महत्वपूर्ण कार्यालयों के अलावा गोविंदपुरी, दर्पण कॉलोनी, मेहरा गांव जैसे बड़ी आबादी वाले क्षेत्र जुड़ते हैं। सडक़ की हालत हर्ष नगर से ही बेहद खराब है। ईओडब्ल्यू ऑफिस के सामने सडक़ पांच फीट दिखती है, बाकी की चौड़ाई में सिर्फ गड्ढे हैं। दो दिन पहले हुई बारिश में सडक़ पर हुई फिसलन से दो पहिया वाहन चालकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इस सडक़ को बनने के बाद खोदे जाने से हर दिन 15 से 20 हजार लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
हुरावली चौराहा से सिरोल तिराहा : चौराहे से सिरोल की ओर मुड़ते ही करीब 10 मीटर आगे ही गड्ढा है। इसके बाद बायीं ओर की सडक़ तिराहे तक खराब है। अमृत योजना के कामों को यहां तब शुरू किया गया, जब यह सडक़ बनकर तैयार हुई। थाने के सामने से लेकर डोंगरपुर तिराहे तक और इसके बाद सिरोल तिराहे तक वाहन चालकों को सिर्फ एक ही पट्टी पर चलने को विवश होना पड़ रहा है। इस सडक़ से सबसे ज्यादा रेत ढोने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर निकलते हैं। सडक़ खुदे होने से डोंगरपुर और सिरोल गांव के 5 हजार से अधिक लोगों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के 8 से 10 हजार छात्र हर दिन परेशान होते हैं।
हुरावली चौराहा से हाईवे
चौराहे से 100 मीटर आगे से ही गड्ढे शुरू हो जाते हैं। हाईवे की ओर जाते समय एक पट्टी में सडक़ कम गड्ढे ज्यादा हैं। यह सडक़ मुख्यमंत्री अधोसंरचना मद से बनाई गई थी। पांच साल पहले बनाई गई यह सडक़ बनने के बाद ही उखड़ गई थी। इसके बाद फिर बनाई गई और फिर उखड़ गई। यहां गड्ढे इतने खतरनाक हैं कि चार पहिया लग्जरी वाहनों का चेंबर नीचे टकरा जाता है। लो फ्लोर बसों का भी चलना मुश्किल है। हाईवे से शहर में रेत और गिट्टी ढोने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर आते हैं। शहर में आने वाले 8 से 10 हजार लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
Published on:
09 Mar 2020 01:17 am
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