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झोली फैलाकर सिंधिया ने की इस मजार की पूजा,फूल गिरते ही कबूल हुई दुआ

गणेश उत्सव के बाद बाबा मंसूर शाह का उर्स मनाया जाता है। शहर के गोरखी देवघर में सूफी संत हजरत मंसूर शाह ऑलिया की गद्दी है।

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ग्वालियर। गणेश उत्सव के बाद बाबा मंसूर शाह का उर्स मनाया जाता है। शहर के गोरखी देवघर में सूफी संत हजरत मंसूर शाह ऑलिया की गद्दी है। जिसमें सिंधिया राजवंश का राजा तब तक पूजा करता है जब तक बाबा का आर्शीवाद उसे नहीं मिल जाए। यह आर्शीवाद उन्हें फूल से मिलता है, जो पूजा के दौरान सीधे महाराज की गोद में गिरता है। यह परंपरा कई सदियों से चली आ रही है।

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गोरखी स्थित देवघर सूफी संत हजरत मंसूर शाह ऑलिया का उर्स समारोह में गुरुवार को मनाया गया। उर्स में पूजा-अर्चना करने के लिए सिंधिया राजवंश के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया शाम करीब पांच बजे वहां पहुंचे। परंपरागत पूजा के दौरान सिंधिया डेढ़ घंटे तक मन्नत मांगते रहे।

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उर्स के दौरान फूल गिरने के बाद उनकी दुआ कबूल हुई। सिंधिया द्वारा पूजा किए जाने के दौरान हरिकथा ढोलीबुवा महाराज ने हरिसंगीत कथा उर्स में शामिल श्रद्धालुओं को सुनाई। मंसूर शाह पर चढ़ाया गया फूल के करीब डेढ़ घंटे बाद आशीर्वाद के रूप गिरते ही लोगों के चेहरे खिल उठे। इसके बाद राजशाही तौर पर गद्दी पर बैठकर परंपरागत तरीके अभिवादन किया। ढोलीबुवा महाराज के चरण स्पर्श कर शहर काजी अब्दुल हमीद कादरी से नमस्कार किया। उर्स के दौरान देवघर पर आकर्षक विद्युत सज्जा की गई। इस साल सूफी संत हजरत मंसूर शाह ऑलिया का यह 266वां उर्स है।

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हर साल आते हैं पूजा करने
सिंधिया राजवंश में परंपरा है कि कोई भी शुभ काम करने से पहले गोरखी आकर अपने कुलगुरू बाबा मंसूर शाह की पूजा करते हैं। यह परंपरा सिंधिया राजवंश के संस्थापक महादजी सिंधिया के समय से चली आ रही है और अब ये परंपरा कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया निभा रहे हैं।

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सिंधिया फूल गिरने तक करते हैं पूजा
राजवंश का प्रमुख विशेष पूजा करने देवघर पहुंचता है और वह तब तक यहां रहते हैं, जब तक उनके कुलगुरू का आर्शीवाद नहीं मिल जाए। यह आशीर्वाद एक फूल के तौर पर मिलता है। इस दौरान मंसूर शाह की गद्दी फूलों से लदी रहती है और ऊपर से एक फूल सिंधिया की झोली में जाकर गिरता है। सिंधिया तब तक पूजा करते हैं, जब तक फूल उनके ऊपर न गिर जा।

कब्बाली का हुआ आयोजन
उर्स के दौरान रात के समय कब्बाली का अयोजन किया गया। वहीं शाम से भंडारा प्रसादी का भी आयोजन किया गया। इस दौरान भारी संख्या में लोगों ने उर्स में भाग लिया।