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पितृपक्ष में खूब हो रही खरीददारी, इस माह में शॉपिंग करना नहीं होता अशुभ

बाजारों में श्राद्ध पक्ष का असर नहीं, व्यापारी नवरात्र में अच्छे कारोबार की जता रहे उम्मीद

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ग्वालियर. आमतौर पर श्राद्धपक्ष (कड़वे दिनों) में खरीदारी नहीं की जाती है। लोग इस समय में खरीदारी करने से बचते हैं, लेकिन इस बार बाजारों में खरीदारों की भीड़ देखने को मिल रही है। इससे कारोबारी भी खुश दिख रहे हैं। उनका मानना है कि 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र शुरू होने वाले हैं, उस समय बिक्री में खासा इजाफा हो जाएगा। इसके लिए अभी से कारोबारियों ने नए माल का स्टॉक कर लिया है। महाराज बाड़ा और उससे सटे बाजारों में अपनी पसंद का सामान खरीदने बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। अन्य बाजारों में भी ऐसी ही स्थिति है।

शॉपिंग करना नहीं होता अशुभ
कई धर्मगुरु इस माह में खरीददारी या कोई भी शुभ कार्य को अशुभ नहीं मानते। उनका मानना है पितृपक्ष में पूर्वज अपने बच्चों की उन्नति को देखकर खुश होते हैं, इसलिए यदि लोग इस माह में कोई शुभ कार्य करते हैं या शॉपिंग करते हैं, तो ये पूर्वजों की देखरेख में होते है, और इससे पितरों को शांति मिलती है।

30 फीसदी लोग कर रहे खरीदारी

इलेक्ट्रॉनिक्स कारोबारी धीरज गुप्ता का कहना है कि अब लोग काफी जागरूक हो चुके हैं, यही कारण है कि श्राद्धपक्ष में भी खरीदारी करने आ रहे हैं। 30 फीसदी लोग इन दिनों में खरीदारी कर रहे हैं, तो 70 फीसदी लोग नवरात्र में खरीदारी के लिए सामान देखने में लगे हैं। नजरबाग मार्केट ऐसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश बंसल ने कहा कि ये बात सही है कि बाजार गणेशोत्सव के बाद से ही चल रहा है और इन दिनों में भी खरीदार आ रहे हैं।


पितृपक्ष में भी शुभ योग

पितृपक्ष में खरीदारी का कारण यह भी बताया जा रहा है कि इन दिनों में भी कई शुभ योग पड़ रहे हैं। इन दिनों में पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि योग के साथ 8 दिन खरीदारी के संयोग बन रहे हैं। लोग इन शुभ संयोगों के चलते भी खरीदारी करने से नहीं चूक रहे हैं। इन दिनों दोपहर को छोड़कर सुबह, शाम और रात में खरीदी हो रही है।

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पितृपक्ष के दौरान आश्विन कृष्ण एकादशी बुधवार को पुष्य नक्षत्र व परिघ योग में इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस एकादशी को दिवंगत साधु-संत वैष्णव जनों का तर्पण व श्राद्ध किया जाता है। इस पावन दिन श्रीहरि विष्णु और सत्यनारायण स्वामी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। एकदशी व्रत करने से श्रद्धालुओं को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी पापों को नष्ट व पितरों को अधोगति से मुक्ति देने वाली होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं इस एकादशी के महात्म्य का वर्णन किया है। इसके बाद 25 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग में पितृ विसर्जन होगा।