
ग्वालियर. चंबल इलाके में विकास के लिये चंबल प्रोग्रेस वे योजना बनाई गई थी, लेकिन अब इस योजना में उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार से सहयोग नहीं मिलने के चलते अटल प्रोग्रेस-वे की लंबाई अटक गई है। निर्माण के लिए एनएचएआइ ने दोनों राज्यों को पत्र लिखकर भूमि अधिग्रहण के संबंध में कहा था, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया है।
एनएचएआइ ने डीपीआर के लिए कंपनी नियुक्त कर दी है। कंपनी रिपोर्ट 6 से 9 माह में दे देगी। दोनों राज्यों के राजी होने के बाद अब इस मार्ग की लंबाई 350 से 400 किमी होगी। पहले चरण में एक्सप्रेस वे फोरलेन का होगा। इसकी डिजाइन और स्पेस 8 लेन तक रखा जाएगा।
परियोजना यूपी के इटावा से शुरू होगी। राजस्थान के कोटा के पास दिल्ली, आगरा और दिल्ली-मुम्बई कॉरिडोर में मिलेगी। अनुमानित लंबाई 398.08 किमी है। एक्सप्रेस-वे मप्र के भिंड से एनएच 92 से शुरू होगा। मुरैना से उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर से होते हुएराजस्थान सीमा तक पहुंचेगा।
मध्य प्रदेश के तीन जिलों भिंड, मुरैना, और श्योपुर से होकर यह एक्सप्रेस वे गुजरेगा। इसमें 17 किमी उत्तर प्रदेश में तथा 72 किमी भाग राजस्थान में आएगा। इसके लिए राज्य सरकारें भूमि उपलब्ध कराएंगी।
अब तक 1523.10 हेक्टेयर जमीन हस्तांतरित सड़क बनाने 1523.10 हेक्टेयर भूमि एनएचएआइ को हस्तांतरित की जा चुकी है। 291 हेक्टेयर भूमि वन विभाग की आ रही है। इसके बदले में भूमि देने और वनीकरण क्षतिपूर्ति के लिए इंतजाम किया जा रहा है। वन एवं पर्यावरण के अनुमति के लिए आवेदन किया गया है, इसकी जद में अटेर का किला और चम्बल अभयारण्य आ रहा है! वन एवंपर्यावरण मंत्रालय ने इसके मार्ग में परिवर्तन करने के लिए कहा है, इस पर भी राज्य सरकार विचार कर रही है।
किसानों से बातचीत
एक्सप्रेस-वे की जद में करीब 1248.86 हेक्टेयर जमीन आ रही है। इसके बदले में किसानों को दूसरी जगह जमीन कलेक्टरों को उपलब्ध करानी होगी। जमीन देने पर काफी किसानों ने अपने सहमति भी दे दी है। औपचारिकताओं को छा करने का प्रयास किया जा रहा है।
Published on:
21 Mar 2021 11:26 am
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