
छात्रों को सता रहा पढ़ाई से वंचित होने का डर, गड़बड़ी की संभावना पर नहीं लग पा रहा अंकुश
ग्वालियर. जीवाजी विश्वविद्यालय से संबद्ध 450 कालेजों में अध्ययनरत जिन छात्रों ने परीक्षा दी थी, उनमें से लगभग 7 हजार छात्रों का परीक्षा परिणाम अभी तक क्लीयर नहीं हो पाया है। इसके अलावा कांट्रैक्ट बेस पर काम कर रही नागपुर की माइक्रोप्रो कंपनी ने जो रिजल्ट जारी किए हैं, उनकी रोल लिस्ट अभी तक गोपनीय विभाग को नहीं दी है, जिससे छात्रों की जो समस्या दो दिन में निपटनी चाहिए थी, उसको निपटने में सात से दस दिन का समय लग रहा है।
द रअसल, परिणाम को क्रॉस चेक करने के लिए रिजल्ट बनाने वाली कंपनी को रोल लिस्ट देना जरूरी है। लेकिन यह लिस्ट न दिए जाने से अब महाविद्यालयों को भेजी जाने वाली मार्कशीट को क्रॉस चेक करने के लिए जेयू के अधिकारी कंपनी पर ही निर्भर हैं। इससे निजी कंपनी द्वारा किसी भी परिणाम में गड़बड़ी की संभावना बनी रहेगी और छात्रों को लगातार भटकना पड़ेगा। अभी तक घोषित परिणामों में जो त्रुटियां सामने आई हैं, उनको विभाग अभी तक हल नहीं कर पाया है, इसका सबसे बड़ा कारण विभाग के पास पूरी जानकारी न होना है। स्थिति यह है कि लगभग ७ हजार छात्रों को विदहैल्ड की श्रेणी में डालने वाली कंपनी ने निर्देश के बाद भी बीए, बीएससी और बीकॉम प्रथम और द्वितीय वर्ष की रोल लिस्ट भी नहीं भेजी है। जिससे स्नातक में अध्ययन कर रहे छात्रों के शुरुआती रिकॉर्ड में कोई गड़बड़ी हुई तो यह अंतिम वर्ष तक जारी रहेगी।
रिकॉर्ड देखने के लिए छात्रों के आवेदन आने पर अधिकारी एजेंसी को बता रहे हैं। जानकारी मांगे जाने पर एजेंसी के कारिंदे छात्र के ऑनलाइन डेटा से मिलान करके जानकारी परीक्षा विभाग को भेज रहे हैं। इसके बाद दस्तावेजों का परीक्षण होने में विलंब हो रहा है। इस प्रोसेस में पांच से सात दिन का समय
लग रहा है।
शिकायतों का बढ़ रहा बोझ :-छात्रों का परीक्षा परिणाम गड़बड़ होने या फिर अंकसूची में नाम या अन्य जानकारी गलत होने की शिकायतें जीवाजी विश्वविद्यालय में सबसे ज्यादा आ रही हैं। डेटा सही तरीके से फीड न किए जाने के कारण जब भी शिकायतकर्ता छात्र का रोल नंबर ऑनलाइन डालते हैं तो यह गलत बता रहा है।
-छात्रों की समस्या का समाधान कराने के लिए हम लगातार प्रयासरत हैं। एजेंसी को भी जानकारियां समय पर देने के लिए निर्देशित किया जा चुका है। कोशिश यह है कि जितनी भी शिकायतें आ रही हैं, उनका समय पर निराकरण कर दिया जाए।
शांतिदेव सिसोदिया, जनसंपर्क अधिकारी-जीवाजी विश्वविद्यालय
Published on:
05 Aug 2019 10:44 am
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