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झूला धीरे से झूलाओ बनवारी, अगल बगल सब सखियां झुलत हैं…

आइटीएम यूनिवर्स में ‘मेघ मल्हार-2023’ का आगाज

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झूला धीरे से झूलाओ बनवारी, अगल बगल सब सखियां झुलत हैं...

झूला धीरे से झूलाओ बनवारी, अगल बगल सब सखियां झुलत हैं...

ग्वालियर.

आइटीएम यूनिवर्स में ‘मेघ-मल्हार-2023’ का आगाज शनिवार को हुआ। देश की ख्यातिनाम शास्त्रीय संगीत गायिका पिऊ मुखर्जी, कोलकाता ने जैसे ही बंदिशें पेश कीं मानों पूरा वातावरण सुरमयी हो उठा। उन्होंने सादगीपूर्ण अंदाज में पहली प्रस्तुति राग मेघ में विलंबित ख्याल और मध्यम लय में जिया मोरा डर पावे अति ही सुहाबे... दी। इसके बाद उन्होंने विरह और भक्ति प्रेम के रस में घुलीं ठुमरियां, कजरी और झूला की सुमधुर मल्हार पेशकर माहौल को खुशनुमा बना दिया।

तीन घंटे तक हुई सुरों की बारिश
उन्होंने बनारस की मशहूर ठुमरी मोरा सैयां बुलावे आधी रात, बैरी निदया भई... सुनाया। भक्ति रस में आधारित झूला की सुमधुर पेशकश करते हुए झूला धीरे से झुलाओ बनवारी..., झूला झुलत मोरा जियरा डरत है... सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। इसी क्रम में झूला धीरे से झूलाओ बनवारी, अगल बगल सब सखियां झुलत हैं... सुनाकर हर दिल में जगह बनाई। लगभग तीन घंटे तक सुरों की बारिश होती रही। इस दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं एवं रसिकों को संगीत के बारे में बताया। उनके साथ तबले पर इमोन, हारमोनियम पर राजेन्द्र बनर्जी, सारंगी पर सरवर हुसैन एवं तानपुरे पर पल्लवी द्विवेदी एवं शिवानी बघेल ने संगत की।

ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम में आइटीएम यूनिवर्सिटी के फाउंडर चांसलर रमाशंकर सिंह, चांसलर रुचि सिंह चौहान, प्रो. चांसलर डॉ. दौलत सिंह चौहान, वाइस चांसलर प्रो. एसएन खेडकऱ उपस्थित रहे।


भारतीय संस्कृति की पहचान है शास्त्रीय संगीत
पिऊ मुखर्जी ने कहा कि शास्त्रीय संगीत भारतीय संस्कृति की पहचान और साधना है। इस साधना में लगन और ध्यान की बहुत आवश्यकता होती है। शुरुआत में यह साधना जरूर जटिल और कठिन नजर आएगी, लेकिन जब आपको इसके रोचक पहलुओं की जानकारी होगी, तब आप भी इस संस्कृति में न सिर्फ रम जाएंगे, बल्कि उसे जीएंगे भी। क्योंकि भारतीय शास्त्रीय संगीत खुश और उत्साहित रहकर जीने की एक कला है।

हमारी परंपरा के रोचक पहलुओं से नई पीढ़ी को अवगत कराने की जरूरत
उन्होंने कहा कि आज मुझे ग्वालियर आकर खुशी हो रही है। क्योंकि संगीत और कला को लेकर ग्वालियर हमेशा से चर्चाओं में रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे बचपन से ही ऐसा माहौल और गुरु मिले, जिससे मेरी रूचि शास्त्रीय संगीत में जागा। मैं आज यह संदेश देना चाहती हूं कि भारतीय संस्कृति के प्रति हमारे बच्चों में रूचि है, लेकिन कमी बढ़ावा देने की है। इसलिए हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि भारतीय संस्कृति से अपनी नई पीढ़ी और युवाओं को जोड़े रखने के उन्हें संस्कृति के रोचक पहलुओं से परिचय कराएं।

राहुल-रोहित मिश्रा की प्रस्तुति आज
आइटीएम यूनिवर्स में मेघ मल्हार के दूसरे दिन रविवार को प्रसिद्ध जोड़ी राहुल-रोहित मिश्रा द्वारा शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति होगी। उनके साथ तबला पर संगत अंशुल सिंह, हारमोनियम पर दीपक खसरावल एवं सारंगी पर अनीश मिश्रा करेंगे।