
Worship for eight months for buried money
ग्वालियर। चंबल के भिण्ड जिले के वनखंडेश्वर मंदिर की तर्ज पर ही 11वीं सदी में सिरसागढ़ पर विजय प्राप्त करने के पूर्व दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान ने ऊमरेश्वर महादेव की स्थापना कराई थी। मंदिर के ठीक सामने ही विशाल तालाब है जिसका रकवा 25 बीघा से भी ज्यादा है। मान्यता है कि शिवलिंग की विधि विधान से पूजा-अर्चना करने से मुंहमंागी मुराद मिलती है। 40 साल पहले यहां पर खजाना भी निकला था। इससे मंदिर की मरम्मत करा दी गई थी।
प्रतिदिन यहां पर सैकड़ों की संख्या में भक्तगण दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। नवविवाहित युवा भगवान के दर्शन करने के बाद ही अपने जीवन की शुरूआत करते हैं। सावन के महीनें में यहां पर भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। बुजुर्ग बताते हैं कि मंदिर से करीब 450 बीघा जमीन लगी थी। लेकिन वर्तमान में अधिकांश जमीन पर दबंगों का क ब्जा है। इसमें से 10 बीघा है मंदिर के स्वामित्व मेंं बची है।
11वीं सदी में सिरसागढ़ पर चढ़ाई करने के दौरान पृथ्वीराज चौहान ने अपना पड़ाव डाला था वहां पर शिवालय स्थापित करने का प्रमाण मिलता है। मान्यता है कि यहंा पर भी पृथ्वीराज ने पड़ाव डाला था और शिवलिंग की स्थापना कराई थी। मां पार्वती के नाम पर ही गांव का नाम ऊमरी पड़ा। माफी औकाफ में दर्ज मंदिर की देखभाल करने के लिए ट्रस्ट भी बना हुआ है।
शिवरात्रि पर होता है विशाल दंगल
शिवरात्रि पर यहां पर विशाल मेला लगता है। करीब दो सैकड़ा से अधिक कुश्ती होती है इनमें आधा सैकड़ा कुश्तियां राष्ट्रीय स्तर की होती है। दंगल में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उप्र दिल्ली से पहलवान दांव पेंच आजमाने के लिए आते हैं। शिवरात्रि पर मंदिर में ढाई सौ से अधिक कांवरे चढ़ती है। आसपास के एक सैकड़ा से अधिक गंाव के ग्रामीणों के लिए ऊमरेश्वर महादेव श्रद्धा के केंद्र बने हुए है।
Published on:
29 Jul 2019 05:34 pm
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