
तेजी से कम क्यों हो रहे हैं शहर में पेड़?
ग्वालियर. जिस तेजी से शहरों का विकास हो रहा है, लोगों को पक्की सडक़ें चाहिए, पक्के मकान चाहिए, रोड किनारे पानी भरा हुआ नहीं चाहिए। कीचड़ नहीं चाहिए, घर के दरवाजे पर पशु गाय आदि न बैठे इसलिए लोग घर के बार पड़ी कच्ची जमीन पर भी फर्श आदि करवा देते हैं। ऐसे हालात में पेड़ लगाने की जगह तेजी से शहरों में खत्म होती जा रही है। कोई भी सरकारी एजेंसी 24 घंटे पौधे की देखभाल के लिए वहां खड़ी नहीं रह सक ती। इसलिए पौधे की सुरक्षा को वही लोग कर सकते जिनके दरवाजे और घर के आस पास पौधे लगाए गए हैं। बहरहाल लोग व्यक्तिगत रूप से पौधरोपण कर अपने घर के आस पास के तापमान को कंट्रोल कर सकते हैं। लेकिन जब बात पूरे शहर और जिले की होतो हमें बड़े पैमाने पर प्लानिंग करनी होगी। इसके लिए लाखो की संख्या में पौधे रोपने होंगे। जिसकी जिम्मेदारी वहां के किसान, रहवासी, समाज सेवी, बिल्डर, कॉलोनाइजर को सौपनी होंगी जो पौधों को लगाए और आजीवन उनका संरक्षण भी करें। महलगांव पहाड़ी आवास विकास कॉलोनी में प्रेम सिंह राठौर इसका उदाहरण हैं, एसएमएफ पहाड़ी पर रूप सिंह राठौर, रायपुर का ताल के पास कुशवाह परिवार ने पहाड़ी पर जंगल पैदा कर दिया। किला तलहटी में अजीत बरैया ने भी अच्छा काम किया है। हमें ऐसे ही मॉडल पर जाना होगा। प्लांटेशन करके उसकी जिम्मेदारी लोगों को देनी ही होगी। यह बात पत्रिका एक्सपोज टीम से इंटरव्यूह में हरियाली एक्सपर्ट ने कही।
? शहर में जमीन नहीं है। प्लांटेशन कहां करें, लोग भी जिम्मेदारी लेने आगे नहीं आ रहे।
- शहर के आस पास की जितनी भी पहाडिय़ां हैं, उन्हें प्लांटेशन के लिए आरक्षित कर देना चाहिए। लाखों की संख्या में पौधे रोपकर उनकी सुरक्षा और पानी का प्रबंधन युद्ध स्तर पर करना होगा, जो लोग आगे नहीं आ रहे हैं वह भी आपके सही कार्य में योगदान देने लगेंगे।
? 100-500 पौधे लगाने से सफलता मिल जाएगी क्या।
- पेड़ जितने भी लगाएं जाएं उतने कम हैं, हमें लाखों की संख्या में प्लांटेशन करना होगा, इनमें से कितने पेड़ बनेंगे यह भविष्य की बात है। अगर हम उनके मर जाने के डर से प्लांटेशन नहीं करेंगे तो बहुत नुकसान हो जाएगा।
Published on:
17 Jul 2019 07:51 pm
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