-कोविड संक्रमण के बाद अब हैवी वर्क आउट की बजाय खेलने को प्राथमिकता दे रहे युवा
श्योपुर। कोविड संक्रमण के बाद से शहर के युवाओं में शरीर को फिट रखने की बढ़ी चाह अभी तक कायम है। पिछले कुछ महीनों में कम उम्र के लोगों को जिम में या अन्य जगहों पर सामान्य स्थिति के बाद भी हार्ट अटैक की खबरें मिलने के बाद युवाओं में हैवी एक्सरसाइज का चलन कु छ हद तक कम हुआ है। अधिकतर युवा अब खेल को ही फिटनैस का आधार बना रहे हैं।
खेल के प्रति बढ़ते लगाव का परिणाम है कि सामान्य फिटनैस हासिल करने के लिए शहर के कुछ युवाओं द्वारा शुरू किया गया बैडमिंटन और फुटबॉल का शौकिया खेल अब क्लब का रूप ले चुका है। वीर सावरकर अकादमी के नाम से संचालित इस क्लब में 100 से ज्यादा खिलाड़ी जुड़े हैं। युवाओं का यह समूह हैवी मशीनी एक्सरसाइज की बजाय हलकी रनिंग और खेल के माध्यम से फुर्ती और चुस्ती पाने में लगे हैं। खास बात यह है कि खेल के माध्यम से सामान्य कसरत कर रहे इस क्लब के सदस्य नशे से भी दूर हो रहे हैं।
ऑप्शन कम, उत्साह ज्यादा
इनडोर कोर्ट
-नगर पालिका खेल परिसर में 100 से अधिक लोग बैडमिंटन खेलने आते हैं।
-आदिम जाति कल्याण आवासीय खेल परिसर में 50 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी सहित युवा खेलने आते हैं।
-पीजी महाविद्यालय बैडमिंटन कोर्ट में 50 से अधिक छात्र-छात्राएं और महाविद्यालय स्टाफ खेलता है।
आउटडोर गेम्स
-आवासीय विद्यालय खेल परिसर ढेंगदा में फुटबॉल मैदान है। वीर सावरकर खेल परिसर में क्रिकेट और फुटबॉल के लिए ग्रासी मैदान है। इसके अलावा महाविद्यालय खेल मैदान में भी फुटबॉल और क्रिकेट खेली जा रही है। इसके अलावा खो-खो और बॉलीबॉल को लेकर लोगों में काफी उत्साह है।
-फुटबॉल खेलने के लिए प्रतिदिन सुबह खिलाड़ी वीर सावरकर मैदान में पहुंचते हैं। सुबह 6 से 9 बजे तक खेलने के बाद फिर हलकी कसरत करने के बाद घर जाते हैं।
वर्सन
-खेल से फिटनैस हासिल करने की कोशिश शुरू की थी। शुरुआत में हम कुछ ही लोग खेलने आते थे, लेकिन धीरे-धीरे और भी युवा खिलाड़ी जुड़ते गए तो अब समूह बन गया है। हम ज्यादा कुछ नहीं करते बस तय समय पर आते हैं और खेलते हैं। तनाव से बचने के लिए खेल बेहतर माध्यम साबित हुआ है। हमरा प्रयास है कि शहर के युवाओं को नशे से दूर किया जाए।
राघवेन्द्र सिंह जाट, अध्यक्ष-वीर सावरकर खेल अकादमी
-संक्रमण काल बीतने के बाद खेल मैदान पर युवाओं की टोली आती है। इनकी सुविधा के लिए हमने स्टेडियम को ग्रासी बनाने में कोई कसर नहीं छोडी है। खिलाडिय़ों को सही सलाह भी देते हैं। इसके साथ ही जो भी कचरा फैलाता है, उसकी डांट भी लगाते हैं। पिछले कुछ समय से कुछ बाहरी तत्व गुटखा खाकर दीवारें गंदी कर रहे हैं, इनको चेतावनी दी गई है।
अरुणसिंह, जिला खेल अधिकारी