
Indian consumers (Photo Source- freepik)
Year Ender 2025: डिजिटल दौर में लोग अपनी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए सिर्फ एक क्लिक की दूरी पर हैं, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में साल 2025 में ईएमआइ का एक नया ट्रेंड सामने आया। अब स्मार्टफोन से लेकर कार तक, घर के इलेक्ट्रॉनिक सामान से लेकर महंगी घड़ियों तक, सब कुछ किस्तों पर खरीदा जा सकता है। यानी अब महंगे प्रोडक्ट्स स्मार्ट क्रेडिट यानी ईएमआइ, नो-कॉस्ट ईएमआइ, बाय नाउ पे लेटर और क्रेडिट कार्ड ऑफर्स के जरिए खरीदने की बयार चल पड़ी है।
पीडब्ल्यूसी की हालिया रिपोर्ट हाउ इंडिया स्पेंड के अनुसार, भारतीय उपभोक्ता अपनी कुल आय का करीब 39% हिस्सा ईएमआइ और लोन की किश्तों में खर्च कर रहे हैं। साल 2025 में ग्वालियर जैसे टियर-2 शहरों में भी यह ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। यहां के युवाओं में अभी खरीदो, बाद में चुकाओं का कॉन्सेप्ट लोकप्रिय हो गया है। इसके अलावा, ई-कॉमर्स वेबसाइट्स और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स ने इस प्रक्रिया को और भी आसान बना दिया है।
आसान क्रेडिट अप्रूवलः लोन और ईएमआइ मिनटों में अप्रूव हो रहे हैं।
फेस्टिव ऑफर्सः नो-कॉस्ट इएमआइ और इंस्टेंट डिस्काउंट का प्रलोभन ।
इन्फ्लुएंसरः लग्जरी प्रोडक्ट्स दिखने से चाहत बढ़ी।
पियर प्रेशरः समान उम्र के लोगों के खर्च पैटर्न से प्रेरणा।
यदि मासिक आय 50,000 है। आय का लगभग एक-तिहाई यानी करीब 16,000 इएएमआइ में देते हैं, तो यह संकेत है कि आपके पास बाकी खर्च, बचत और अप्रत्याशित खर्चों को संभालने के लिए बहुत कम जगह बचती है। इसलिए बड़ी खरीदारियों से बचें।
वित्तीय जानकारों का मानना है कि कुल इनकम का 30% से ज्यादा ईएमआइ पर खर्च करना वित्तीय रूप से सही नहीं है। उदाहरण के तौर पर, 20,000 आय वाले व्यक्ति को 6,000 से ज्यादा इएमआइ नहीं लेनी चाहिए।
सीए पंकज शर्मा के मुताबिक पहले लोग किसी भी चीज को खरीदने के लिए सालों तक बचत करते थे लेकिन अब ऐसा नही है। अब खर्च सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि सुविधा और आत्मविश्वास का प्रतीक बन गया है। आज उपभोक्ता आय का बेहतर प्रबंधन करना सीख रहे हैं। वे निवेश, बीमा और इएमआइ के बीच संतुलन बनाते हुए भविष्य को सुरक्षित कर रहे हैं। साथ ही डिजिटल समझ भी बढ़ी है।
हालांकि, यह भी जरूरी है कि बढ़ती सुविधाओं के साथ लोग क्रेडिट अनुशासन को बनाए रखें। खर्च में योजना और संयम रहना बहुत जरूरी है नहीं तो गैर जरूरी खर्चों पर अधिक व्यय आपातकाल में परेशानी में डाल सकता है। आपातकाल फंड जरूर बनाकर रखें और ऋण से आय अनुपात का ध्यान रखें यह अनुपात 30% से कम होना चाहिए। यदि यह 50 फीसदी से अधिक हो जाए, तो यह संकेत है कि आपकी वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ रहा है।
Updated on:
16 Dec 2025 04:00 pm
Published on:
16 Dec 2025 02:33 pm
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