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विधानसभा में उठाया चकबंदी, किलाबंदी और मुरब्बाबंदी कार्य अटकने का मामला

विधानसभा में उठाया चकबंदी, किलाबंदी और मुरब्बाबंदी कार्य अटकने का मामला

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विधानसभा में उठाया चकबंदी, किलाबंदी और मुरब्बाबंदी कार्य अटकने का मामला

विधानसभा में उठाया चकबंदी, किलाबंदी और मुरब्बाबंदी कार्य अटकने का मामला

-भादरा विधायक संजीव बेनीवाल ने उपनिवेशन तहसील सृजित करने की रखी मांग, ताकि किसानों को मिल सके फायदा
-प्रोजेक्ट में लापरवाही बरतने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मंाग
हनुमानगढ़/ भादरा. विधायक संजीव बेनीवाल ने विधानसभा में भादरा तहसील में प्रथम उपनिवेशन तहसील सृजित कर चकबंदी, किलाबंदी और मुरब्बाबंदी के कार्य को पूर्ण करने की मांग की। इसके लिए नियम 295 के तहत विशेष उल्लेख प्रस्ताव पर कहा कि सन 2007-8 में वेबकोस कंपनी के द्वारा किलाबंदी मुरब्बाबंदी और चकबंदी का कार्य शुरू किया गया था। लेकिन इस कार्य में अनियमितता ,भ्रष्टाचार एवं भयंकर गड़बड़ी के कारण यह कार्य धरातल पर नहीं हो सका और उस समय वेबकोस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था लेकिन पुन:गत सरकार ने इस कंपनी के साथ एग्रीमेंट कर इस कंपनी को किलाबंदी, चकबंदी और मुरब्बाबंदी का कार्य सौंपा है। कंपनी की उदासीनता के कारण अभी भी यह कार्य अधूरा पड़ा है। चकबंदी का जमाबंदी का रकबा सीसीए प्लान से मेल भी नहीं खाता है। अत: वेबकोस कंपनी के दोषी अधिकारी, कर्मचारियों को उच्च स्तरीय जांच के माध्यम से लापरवाही के लिए कड़ी सजा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि गत सरकार ने भादरा में उपनिवेशन तहसील सृजित की थी लेकिन उपनिवेशन विभाग में पटवारी और भू अभिलेख निरीक्षक के पद रिक्त होने के कारण यह कार्य भी नहीं हो सका। विधायक ने कहा कि भादरा में नई उपनिवेशन तहसील सृजित कर एवं तत्काल प्रभाव से संपूर्ण स्टाफ लगाकर पारदर्शिता के साथ गुणवत्तापूर्ण चकबंदी, किलाबंदी और मुरब्बा बंदी का कार्य करवाया जाए ताकि किसानों का हित हो सके।
पत्रिका ने उठाया मुद्दा
21 फरवरी 2025 को राजस्थान पत्रिका ने ‘सरकारें तो बदली, नहीं बदली नोहर-सिद्धमुख परियोजना की सूरत’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया। इसमें नोहर-सिद्धमुख परियोजना में करीब डेढ़ दशक से लटके चकबंदी व मुरब्बाबंदी कार्य का उल्लेख किया गया। किसान हित से जुड़े इस समाचार का प्रकाशन होने के बाद अब जनप्रतिनिधि भी इसे लेकर गंभीर हो रहे हैं। सरकार इस समस्या को लेकर गंभीर होती है तो इसका लाभ हजारों किसानों को मिल सकेगा।
यह होगा किसानों को लाभ
नोहर-सिद्धमुख परियोजना में करीब डेढ़ दशक से चकबंदी व मुरब्बाबंदी का कार्य लटका हुआ है। लेटलतीफी की वजह से हजारों किसानों को समानुपात रूप से पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में पानी के लिए यहां झगड़े आम बात हो गए हैं। जिले की नोहर व भादरा क्षेत्र में चकबंदी व मुरब्बाबंदी का कार्य लटकने से इन क्षेत्रों की नहरों में बाराबंदी सिस्टम लागू नहीं हो पा रहा। यह कार्य पूर्ण होने पर ही इंदिरागांधी व भाखड़ा नहरों की तर्ज पर सिद्धमुख नोहर प्रणाली की नहरों में बारी सिस्टम लागू हो सकेगा। वर्तमान में यहां काम चलाऊ के तौर पर भाईचारा सिस्टम से नहरों की बारी निर्धारित की गई है। जबकि चकबंदी व मुरब्बाबंदी कार्य पूर्ण होने पर बारी सिस्टम लागू करना संभव होगा और किसानों को समानुपात रूप में हक का पानी मिल सकेगा।