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पुलिसकर्मी और पूर्व विधायक के बीच तनातनी, एक दूसरे के गिरेबान तक जा पहुंचे, केंद्र सरकार की जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ उतारा गुस्सा

हनुमानगढ़. किसान व श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ बुधवार को कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया गया। संयुक्त केंद्रीय श्रमिक संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा, सीटू तथा खेत एवं ग्रामीण मजदूर यूनियन के संयुक्त तत्वावधान में किए गए प्रदर्शन में सभी ने सरकार की किसान व श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया।

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हनुमानगढ़. जिला कलक्ट्रेट के समक्ष बुधवार को पुलिसकर्मी और पूर्व विधायक बलवान पूनियां के बीच हो रही तनातनी।

हनुमानगढ़. जिला कलक्ट्रेट के समक्ष बुधवार को पुलिसकर्मी और पूर्व विधायक बलवान पूनियां के बीच हो रही तनातनी।

हनुमानगढ़. किसान व श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ बुधवार को कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया गया। संयुक्त केंद्रीय श्रमिक संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा, सीटू तथा खेत एवं ग्रामीण मजदूर यूनियन के संयुक्त तत्वावधान में किए गए प्रदर्शन में सभी ने सरकार की किसान व श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया। आंदोलनकारियों को कलक्ट्रेट में अंदर जाने से जब रोका गया तो पुलिसकर्मी और पूर्व विधायक बलवान पूनियां के बीच काफी तनातनी चली।
पुलिसकर्मी व पूर्व विधायक एक दूसरे के गिरेबान तक जा पहुंचे। प्रदर्शन के दौरान मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं, किसान विरोधी कानूनों, फसलों के नुकसान, बीमा क्लेम, मनरेगा, स्मार्ट मीटर सहित विभिन्न मुद्दे शामिल रहे। इस मौके पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार ने 21 नवंबर 2025 को पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों के हित में चार नई श्रम संहिताओं को अचानक लागू कर दिया। जबकि इस निर्णय पर न तो किसी श्रमिक संगठन से राय ली गई और न ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किया गया।
वक्ताओं ने इसे मजदूर वर्ग पर सीधा वार बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लगातार श्रमिकों के अधिकारों, सुरक्षा और सामाजिक न्याय की मूल भावना को कमजोर कर रही है। भादरा के पूर्व विधायक बलवान पूनिया, जिला परिषद डायरेक्टर मंगेश चौधरी, सीटू जिलाध्यक्ष आत्मा सिंह, रामेश्वर वर्मा, रघुवीर सिंह वर्मा, शेर सिंह शाक्य और बहादुर सिंह चौहान ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पांच वर्ष पूर्व किसान आंदोलन के दौरान देशभर से दिल्ली पहुंचे लाखों किसानों के संघर्ष और 750 से अधिक किसानों की शहादत के बाद वापस लिए गए कृषि कानूनों को अब सरकार चोर दरवाजे से लागू करने का प्रयास कर रही है।
सभा के दौरान 13 सूत्रीय मांगपत्र पढकऱ सुनाया गया। जिसमें चारों श्रम संहिताओं को तत्काल निरस्त करने, सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए कानून बनाने, बकाया फसल बीमा क्लेम जारी करने, अतिवृष्टि से नष्ट हुई फसलों और मकानों का मुआवजा देने, स्मार्ट मीटर बंद करने और मनरेगा कार्य तुरंत चालू कर बकाया भुगतान करने की मांग शामिल रही। इसके अतिरिक्त बिजली दरें वापस लेने, दलित-आदिवासी-महिलाओं पर बढ़ते दमन को रोकने, टिब्बी में एथेनॉल फैक्ट्री बंद करने, किसानों पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस लेने, क्षेत्र में बढ़ रहे चिट्टा नशे पर कार्रवाई करने तथा विभिन्न गांवों में जल निकासी संबंधी स्थाई प्रबंध करने जैसी स्थानीय समस्याओं को भी प्रमुखता से उठाया गया। इस दौरान वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार श्रमिकों, किसानों और आम जनता की समस्याओं पर तुरंत प्रभाव से कार्रवाई नहीं करती तो आंदोलन को तेज किया जाएगा। साहब राम पूनिया, बहादुर सिंह चौहान, सुरेंद्र शर्मा, ओम जांगू, जगजीत सिंह जग्गी, मनीराम मेघवाल, गोपाल बिश्नोई, चरण प्रीत बराड़, रामचंद्र राम सिंह, अमरजीत आदि मौजूद रहे।

ेकलक्टर से हुई वार्ता
प्रदर्शन के बाद जिला कलक्टर से वार्ता हुई। इसमें तय हुआ की चार लेबर कोर्ट बिल वह श्रमिकों की जो समस्याएं हैं उसको केंद्र व राज्य सरकार तक पहुंचाया जाएगा। मनरेगा का काम गांव में शुरू करने के लिए छह नंबर फार्म के लिए सभी पंचायत को पाबंद किया जाएगा और शहरी नरेगा में जो पांच गांव जोड़े गए हैं उन गांवों को शीघ्र ही शहरी नरेगा का काम शुरू करवाने पर सहमति बनी। मूंग में मूंगफली के खरीद के अंदर आ रही दिक्कतें को लेकर मौके पर अधिकारियों को बुलाकर किसान प्रतिनिधियों की वार्ता की गई। इसमें समुचित रूप से दोनों फसलों की खरीद करवाने की मांग की। इथेनोल फैक्टरी को बंद करने के मुद्दे पर कलक्टर ने मौका देखने का आश्वासन दिया। आंदोलनकारियों का कहना था कि जिस जगह पर फैक्ट्री निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई है, वह आबादी के बीच में है। इससे आसपास में प्रदूषण से लोगों को परेशानी होगी।