
Demonstration of villagers outside collectorate
हनुमानगढ़.
भाखड़ा नहर में 1200 क्यूसेक पानी देने की मांग को लेकर किसान बुधवार को कलक्ट्रेट के समक्ष बेमियादी पड़ाव डालकर बैठ गए। बड़ी संख्या में किसानों को देख जिला प्रशासन ने दो बार किसान प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया। लेकिन दोनों दौर की वार्ता विफल रही। इससे किसानों में रोष व्याप्त हो गया। शाम साढ़े छह बजे दूसरे दौर की वार्ता विफल रहने पर किसान प्रतिनिधि गुस्से में बाहर निकल आए। कुछ किसानों ने कलक्ट्रेट की तरफ रुख किया तो तनाव की स्थिति बन गई। लेकिन पुलिस अधिकारियों की समझाइश पर मामला शांत हुआ।
वार्ता में किसान नेता मार्च तक 1200 क्यूसेक पानी चलाने की जिद पर अड़े रहे तो जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता भी अपनी जिद पर अड़े रहे। उनका कहना था कि हम 850 क्यूसेक से अधिक पानी नहीं चला सकते। किसानों का कहना था कि राजस्थान के अधिकारी अपने रसूख का इस्तेमाल किसान हित में नहीं करते। अगर वह थोड़ी हिम्मत कर लेंगे तो पंजाब सहयोग जरूर करेगा।
वार्ता के दौरान जिला प्रशासन की ओर से सुझाए गए प्रस्ताव को भी मुख्य अभियंता राजकुमार चौधरी ने दरकिनार कर दिया। उनका कहना था कि पंजाब से10 हजार क्यूसेक पानी लाना मुश्किल है। किसान प्रतिनिधियों का कहना था कि उपलब्ध पानी का बंटवारा मिलजुल कर किया जाना चाहिए। लेकिन मुख्य अभियंता आंकड़ों का जाल बुनकर रेग्यूलेशन को उलझा रहे हैं। वार्ता के दौरान दोनों पक्षों में कई बार तनातनी की नौबत आई। लेकिन मौजूद अधिकारियों की समझाइश पर स्थिति सामान्य हुई। किसानों का कहना था कि अगर अभी पानी नहीं मिला तो गेहूं की फसल बर्बाद हो जाएगी। बेहतरी इसी में है कि जो पानी उपलब्ध है, उसका बंटवारा समझदारी से किया जाए। बड़ी संख्या में किसानों के डटे रहने से पुलिस का भारी जाब्ता कलक्ट्रेट के आसपास तैनात रहा। कलक्ट्रेट की तरफ जाने वाली सड़कों पर पुलिसकर्मी तैनात नजर आए।
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