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मृतक का आवेदन मिला तो खुला फर्जीवाड़ा

पालिका कर्मचारी श्याम धारणियां और संदीप बिश्नोई के समक्ष जब फर्जी आवेदन आए तो उनको शंका हुई। फिर एक मृत व्यक्ति के नाम से मिले आवेदन ने उनका शक पुख्ता कर दिया। इसके बाद जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया। इस तरह के पांच आवेदन पत्र अब तक सामने आ चुके हैं।

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Lata Borad

Jan 04, 2017

died men appication found illegal

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संगरिया

तहसीलदार के फर्जी हस्ताक्षर से जारी आज्ञा पत्र के आधार पर नगरपालिका में दस्तावेज पेश कर जन्म प्रमाण-पत्र जारी करवाने का खेल उजागर हुआ है। इसके लिए फर्जी हस्ताक्षर और मोहर का इस्तेमाल किया जा रहा था। यह फर्जीवाड़ा उस समय सामने आ गया जब एक मृत व्यक्ति के नाम से आवेदन पहुंच गया। आज्ञा पत्रों पर जब शंका गहराई तो पालिकाध्यक्ष नत्थूराम सोनी व शाखा प्रभारी श्याम धारणिया के साथ पाार्षद व कर्मचारियों ने गुरुवार को तहसीलदार से संपर्क किया। इसके बाद ई-मित्र कियोस्क पर जांच-पड़ताल की तो वहां शपथ आयुक्त की मोहरें मिली। शपथ पत्रों पर ना केवल तहसीलदार बल्कि कई पार्षदों के भी कथित फर्जी हस्ताक्षर मिले।

नगर पालिका के कार्यवाहक ईओ सुरेन्द्रप्रताप सिंह ने मोंगा ई-मित्र संचालक राज मोंगा सहित कई अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराया है। उनका आरोप है कि 22 दिसम्बर को दो व 27 दिसम्बर को तीन आवेदन पत्र जन्म पंजीकरण के लिए कार्यालय में प्रस्तुत कर आरोपित प्राप्ति रसीद ले गया। आवेदन पत्रों की जांच में पाया कि शपथकर्ता गुरचेत सिंह की मौत हो चुकी है। अन्य हरिलाल, मनजीत कौर, कलावती की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पूर्णतया फर्जी है। इन तीनों आवेदकों ने अपने हस्ताक्षर होने से इनकार किया है।

दरअसल, यह खेल उन जन्म प्रमाण पत्रों में चल रहा था, जिन्हें आवेदक समय पर नहीं बनवा पाते थे। निर्धारित सीमा के बाद जन्म प्रमाण पत्र बनवाने पर लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसके लिए आवेदन के साथ तहसीलदार या कार्यपालक मजिस्टे्रट का आज्ञा पत्र, जनप्रतिनिधि की तस्दीक, अनुपलब्धता प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, वोटर कार्ड, राशन कार्ड उपलब्ध करवाने सहित कई औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है। मतलब संबंधित केस की एक विशेष फाइल तैयार होती है। फिर सघन जांच के बाद नगर पालिका संबंधित को जन्म प्रमाण पत्र जारी करता है। इस प्रक्रिया में एक लंबा वक्त लगता है। इसलिए ई-मित्र एजेंट ने जल्दी प्रमाण पत्र बनवाने का काम शुरू किया। इसके लिए नकली हस्ताक्षर आदि का इस्तेमाल किया। वह फर्जी मोहर की बदौलत औपचारिकताओं को फटाफट निपटाकर फर्जी ढंग से सर्टिफिकेट जारी करवाने के लिए पालिका में आवेदन पेश करवाता। इस तरह एजेंट हजारों रुपए आवेदक से ऐंठकर उन्हें शीघ्रता से फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी करवा देता।

ऐसे आया पकड़ में

पालिका कर्मचारी श्याम धारणियां और संदीप बिश्नोई के समक्ष जब फर्जी आवेदन आए तो उनको शंका हुई। फिर एक मृत व्यक्ति के नाम से मिले आवेदन ने उनका शक पुख्ता कर दिया। इसके बाद जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया। इस तरह के पांच आवेदन पत्र अब तक सामने आ चुके हैं। जांच में यह संख्या और बढ़ सकती है।इनका कहना है

मामले की आंतरिक जांच करवा रहे हैं। जांच में पांच फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट आवेदन मिले हैं। इसकी जानकारी तहसीलदार को दी गई है। एफआईआर भी दर्ज करवा दी गई है। सुरेंद्रप्रताप सिंह, कार्यवाहक ईओ नगरपालिका, संगरिया।

मुझे जन्म प्रमाण पत्र आवेदन की पत्रावलियां नगर पालिका से प्राप्त हुई हैं। उनमें आज्ञा-पत्र पर मेरे फर्जी हस्ताक्षर हैं। मोहर एवं कार्यालय के डिस्पैच नंबर अंकित हैं। यह आज्ञा-पत्र मेरे कार्यालय से जारी नहीं हैं और न ही पेश हुए हैं। फर्जीवाड़े संबंधी दस्तावेजों को पुलिस के हवाले कर एफआईआर दर्ज करवाई जा रही है। दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

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