scriptबोनस अंकों की आड़ में छिपा रहे ‘बेटी पढ़ाओ में’ नाकामी | Failure to 'Beti Teachyo' in hidden under the guise of bonus points | Patrika News

बोनस अंकों की आड़ में छिपा रहे ‘बेटी पढ़ाओ में’ नाकामी

locationहनुमानगढ़Published: Feb 09, 2019 11:29:13 am

Submitted by:

adrish khan

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hanumangarh mein girls collage ki maang

बोनस अंकों की आड़ में छिपा रहे ‘बेटी पढ़ाओ में’ नाकामी

बोनस अंकों की आड़ में छिपा रहे ‘बेटी पढ़ाओ में’ नाकामी
– सरकारी कन्या कॉलेज नहीं खोल पाने की छिपा रहे विफलता
– हनुमानगढ़ और प्रतापगढ़ में शर्मिंदगी झेल रही सरकार
अदरीस खान. हनुमानगढ़. बेटियों को बोनस अंक देकर सरकार शर्मिंदगी व नाकामी छिपा रही है। फिर चाहे वो भाजपा की सरकार रही हो या कांग्रेस की। पूरे प्रदेश में हनुमानगढ़ और प्रतापगढ़ में सरकार को इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह है कि बेटियों के लिए जिले में एक भी सरकारी कॉलेज नहीं खोल पाना। सीधे तौर पर यह स्वीकार नहीं किया जा रहा कि कन्याओं के लिए कॉलेज नहीं खोल पाना बड़ी नाकामी है। मगर सरकार खुद अपनी इस विफलता पर मोहर लगा रही है। छात्राओं के लिए कॉलेज प्रवेश नीति में अतिरिक्त तीन प्रतिशत अंकों की व्यवस्था देकर। दरअसल, राज्य सरकार के आदेश पर कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने यह नियम बना रखा है कि जहां जिला मुख्यालय पर कन्याओं के लिए सरकारी कॉलेज नहीं है, वहां सह शिक्षा सरकारी कॉलेज में प्रवेश के दौरान छात्राओं को तीन प्रतिशत अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं ताकि उनको अधिकाधिक प्रवेश मिल सके।
राज्य भर में हनुमानगढ़ व प्रतापगढ़ ही ऐसे दो जिले हैं, जहां सरकार को यह तीन प्रतिशत अंक प्रवेश के दौरान कन्याओं को देने पड़ रहे हैं। क्योंकि यहां बेटियों के लिए जिला मुख्यालय पर तो क्या पूरे जिले में ही सरकारी कन्या महाविद्यालय नहीं है। जानकारों की माने तो सरकारी तंत्र को यह अहसास है कि जिला मुख्यालय पर कन्याओं के लिए अलग से एक अदद कॉलेज नहीं खोल पाना उनकी बड़ी विफलता है। इसे छिपाने और बालिका शिक्षा प्रोत्साहन के लिए तीन नम्बर अतिरिक्त देने की व्यवस्था कर दी गई है। हनुमानगढ़ के अतिरिक्त यह व्यवस्था प्रतापगढ़ जिले में लागू होती है। क्योंकि वहां भी बेटियों के लिए सरकारी कन्या महाविद्यालय नहीं है।
नारे खूब, काम नहीं
राज्य के 33 जिलों में से 31 में 47 सरकारी कन्या महाविद्यालय हैं। केवल हनुमानगढ़ व प्रतापगढ़ में कन्या कॉलेज नहीं है। हनुमानगढ़ को जिला बने 22 बरस हो चुके हैं। इसके बावजूद एक भी कन्या कॉलेज नहीं है। आस-पड़ोस के हर जिले में दो-दो और कहीं तो तीन-तीन कन्या महाविद्यालय संचालित हैं। हनुमानगढ़ के नेताओं में शायद यह काबिलियत नहीं है कि एक भी कन्या कॉलेज खुलवा सके। प्रदेश में सबसे कम सरकारी कॉलेज वाले जिलों में भी हनुमानगढ़ शुमार होता है। जिले में महज तीन सरकारी कॉलेज हैं। बेटियों के लिए अलग से एक भी नहीं है।
खाता खुलवाने में संघर्ष
हालांकि वर्ष 2013 में तत्कालीन सरकार ने मीरा कन्या कॉलेज का अधिग्रहण कर सरकारीकरण कर दिया था। लेकिन 13 माह बाद नई सरकार ने इसे डिनोटिफाई करते हुए पुन: निजी घोषित कर दिया। इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई, जहां सरकार का फैसला गलत साबित हुआ। स्थिति यह है कि अन्य जिलों में तो कन्याओं के कॉलेजों की संख्या बढ़ाने की मांग उठती रही है और हनुमानगढ़ में कन्या कॉलेज का खाता खुलवाने के लिए ही संघर्ष करना पड़ रहा है।
प्रोत्साहन के लिए
जिला मुख्यालय पर छात्राओं के लिए सरकारी कन्या महाविद्यालय नहीं होने पर उनको सह शिक्षा सरकारी महाविद्यालय में प्रवेश के दौरान तीन प्रतिशत अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं। बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने तथा अधिकाधिक छात्राओं के नामांकन के उद्देश्य से यह किया जाता है। – भागसिंह परमार, प्राचार्य, राजकीय एनएम पीजी कॉलेज।
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