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ओलावृष्टि ने बिगाड़ा किन्नू उत्पादन का गणित

https://www.patrika.com/hanumangarh-news/ हनुमानगढ़. जिले में लगातार वर्षा एवं कुछ क्षेत्रों में में ओलावृष्टि के कारण फसलों के साथ साथ किन्नू बाग भी प्रभावित हुए हैं। खराब मौसम की वजह से क्षेत्र के बागों में संक्रमण के फैलने की आशंका है। जिले में लगे किन्नू बागों में संगरिया क्षेत्र में सर्वाधिक नुकसान होने की सूचना है। किन्नू बागों को हुए नुकसान का आंकलन करने में विभागीय टीम लगी हुई है।  

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ओलावृष्टि ने बिगाड़ा किन्नू उत्पादन का गणित
-क्षेत्र में करीब दौ सौ बीघा किन्नू बागों में नुकसान की सूचना
-बचे बागों को बचाने को लेकर विभाग किसानों को दे रहा सलाह

हनुमानगढ़. जिले में लगातार वर्षा एवं कुछ क्षेत्रों में में ओलावृष्टि के कारण फसलों के साथ साथ किन्नू बाग भी प्रभावित हुए हैं। खराब मौसम की वजह से क्षेत्र के बागों में संक्रमण के फैलने की आशंका है। जिले में लगे किन्नू बागों में संगरिया क्षेत्र में सर्वाधिक नुकसान होने की सूचना है। किन्नू बागों को हुए नुकसान का आंकलन करने में विभागीय टीम लगी हुई है। इस बीच नींबू वर्गीय बागों को संक्रमण से बचाने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड तीन सौ ग्राम एवं स्ट्रेप्टोसाइक्लीन बारह ग्राम को सौ लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करने की सलाह दी जा रही है। विभाग स्तर पर किसानों को इस संबंध में लगातार जागरूक किया जा रहा है। ताकि फलों के बाग को बचाया जा सके। जिले में स्ट्रिस कैंकर एवं अन्य फंगल इंफेक्शन के फैलने की आशंका को देखते हुए विभागीय अधिकारी किसानों को इससेस निपटने को लेकर लगातार सलाह दे रहे हैं। ताकि आगे अच्छी पैदावार हो सके। उद्यान विभाग हनुमानगढ़ में सहायक कृषि अधिकारी डॉ. विपिन भादू के अनुसार ओलावृष्टि की वजह से संगरिया तहसील के गांव नाथवाना, चक हीरा सिंहवाला, कीकरवाली, लीलांवाली सहित अन्य गांवों में लगे किन्नू बागों को नुकसान हुआ है। इन बागों में फल झड़ गए हैं। जिन पौधों पर फल लगे हुए हैं, उनकी गुणवत्ता प्रभावित हुई है। करीब 200 बीघे में लगे किन्नू बागों को नुकसान होने की सूचना है। जबकि पिछले सप्ताह तक जिस तरह का मौसम बन रहा था, उससे बम्पर उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही थी। मगर ऐसा नहीं हुआ। अचानक मौसम का मिजाज बदलने से उत्पादन का गणित बिगड़ गया।

इतने क्षेत्र में लगे बाग
हनुमानगढ़ जिले में 1200 बीघे में किन्नू के बाग लगे हैं। बीते मार्च-अप्रैल में तापमान बढऩे की वजह से किन्नू बागों को नुकसान हुआ था। वहीं जिनके बाग बच गए थे उनको रेट ठीक मिले थे। किसानों को विभागीय सलाह के अनुसार ही बागों की संभाल करने का सुझाव दिया जा रहा है। फल बनने शुरू हो गए है। अबकी बार आंधी व ओलावृष्टि से काफी मात्रा में किन्नू बागों के नीचे गिर हैं।

135 हेक्टेयर में खजूर की खेती
हनुमानगढ़ जिले की बात करें तो कुल 135 हेक्टेयर में खजूर की खेती हो रही है। करीब पचास किसान इसकी खेती कर रहे हैं। इस समय फल लग गए हैं। बरसात के बाद मध्य जुलाई मेंं खजूर पकने लगेंगे। इसके बाद बाजार में नजर आएंगे। इस समय खजूर बागों की स्थिति ठीक बताई जा रही है।

ग्वार की फसल को ऐसे बचाएं
खरीफ में कॉटन के बाद ग्वार मुख्य फसल मानी जाती है। इसमें किस्म का चुनाव, बिजाई का समय, संतुलित उर्वरक, बैक्टिरियल ब्लाइट तथा फंगस जनित रोग पर नियंत्रण कर अच्छी उपज ली जा सकती है। हाल ही में अच्छी वर्षा हो चुकी है। अत: मौसम साफ होने पर ग्वार की अच्छी पैदावार के लिए छह किलो बीज छह ग्राम स्ट्रेप्टोसाइकलिन को छह लीटर पानी में मिलाकर आधा घंटा भिगोने तथा बाद में सूखने पर उसमे दो ग्राम प्रति किलो बीज में कार्बेंडीजम से उपचारित करने की सलाह भी किसानों को दी जा रही है। विभागीय सलाह को मानकर खेती करने पर पैदावार प्रभावित होने का कम जोखिम रहता है।