२०२० में तो इससे भी बुरी स्थिति थी। उस वक्त जिला अस्पताल प्रशासन ने आउट सोर्स के जरिए व्यवस्था की थी। लेकिन ज्यादा दिन तक चल नहीं पाई थी। २०२० में जिला अस्पताल की एमसीएच यूनिट में एक भी एमएस गायनी नहीं होने के कारण करीब ४६ दिन तक ताला लटका रहा था। एमएस गायनी नहीं होने के कारण परिजन साधारण प्रसव करवाने के लिए भी गर्भवती को जिला अस्पताल में लाने से कतराते थे।
करीब डेढ़ वर्ष तक रेडियोलोजिस्ट की परीक्षा का परिणाम नहीं आया है। जब परीक्षा का परिणाम आने का समय आया तो तबादला कर दिया गया। वर्तमान में एक महिला रेडियोलोजिस्ट को लगाया है। इनका भी परीक्षा का परिणाम आने वाला है। परीक्षा का परिणाम आने के बाद ही सोनोग्राफी मशीन का संचालन कर सकेंगी। रेडियोलोजिस्ट का पद रिक्त होने के कारण आमजन के लिए सोनोग्राफी जांच सुविधा शुरू होती दिखाई नहीं दे रही।
जिला अस्पताल में उपनियंत्रक तक नहीं है। ऐसे में जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को संभालने के लिए उपनियंत्रक का होना अतिआवश्यक है। यह पद भी काफी समय से रिक्त है। वहीं तीन ईएनटी के पद हैं, इनमें से दो पद रिक्त पड़े हैं।
जिला अस्पताल में एमएस गायनी,उपनियंत्रक, ईएनटी के पद रिक्त हैं। निदेशालय को रिक्त पदों के बारे में अवगत करवाया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इन पदों पर चिकित्सकों को लगाया जाएगा।
डॉ. शंकर सोनी, पीएमओ, जिला अस्पताल।