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अब आदमी घर में नहीं, मोबाइल के अंदर रहता है…

हनुमानगढ़. मरुधरा साहित्य परिषद व कागद फाउंडेशन के तत्वावधान में साहित्यकर ओम पुरोहित 'कागदÓ की जयंती पर काव्य गोष्ठी हुई।

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अब आदमी घर में नहीं, मोबाइल के अंदर रहता है...

अब आदमी घर में नहीं, मोबाइल के अंदर रहता है...

अब आदमी घर में नहीं, मोबाइल के अंदर रहता है...
- कागद जयंती पर काव्य गोष्ठी का आयोजन
हनुमानगढ़. मरुधरा साहित्य परिषद व कागद फाउंडेशन के तत्वावधान में साहित्यकर ओम पुरोहित 'कागदÓ की जयंती पर काव्य गोष्ठी हुई। चाणक्य क्लासेज में सोमवार को आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता भगवती पुरोहित कागद ने की। हास्य कवि रूपसिंह राजपुरी एवं शायर राजेश चड्ढ़ा बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। वरिष्ठ साहित्यकार नरेश मेहन ने कहा कि कागद केवल साहित्यकार नहीं थे। वे एक संस्था थे। उनके भीतर इतिहासकार, चित्रकार, क्रिकेटर भी छिपे हुए थे। राजेश चड्ढ़ा ने कागद की 'दिन भर बंद रहकर रात के सन्नाटे में क्यों खुल जाती है अपने आप स्मृतियों की गठरीÓ सहित अन्य कविताएं पढ़ी। उनकी पुस्तक 'आदमी नहीं हैÓ तथा 'आंख भर चितरामÓ से रचनाओं का वाचन भी किया गया।
गोष्ठी में युवा कवि आशीष गौतम बागी, मनोज दीपावत, मोहनलाल वर्मा, गुरदीप सोहल, वीरेन्द्र छपोला, विनोद यादव, प्रेम भटनेरी एवं सुरेन्द्र सत्यम ने अपनी रचनाएं पढ़ी। संस्था सचिव नरेश मेहन ने 'घर अब घर नहीं है, मोबाइल में रहते हंै घर के सारे लोगÓ कविता सुनाई। राजेश चड्ढ़ा ने 'हवाओं को घर का पता यूं बतानाÓ गजल पढ़ी। रूपसिंह राजपुरी ने हास्य कविता 'गुलाब और बाजराÓ सहित अन्य रचनाएं प्रस्तुत की। भगवती पुरोहित ने कागद से जुड़े संस्मरण सुनाए। गोष्ठी में विशिष्ट लोक अभियोजक दिनेश दाधीच, संस्था निदेशक राज तिवाड़ी आदि मौजूद रहे।