घग्घर नदी में पानी से खुशी, कमजोर बंधों से नदी में कटाव की चिंता, कैली बनी मुसीबत
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हनुमानगढ़. घग्घर नदी प्रवाह क्षेत्र में पानी का प्रवाह तेज हो रहा है। गुल्ला चिक्का हैड पर शनिवार को १७७१० क्यूसेक पानी की आवक हो रही थी।
हनुमानगढ़
Published: July 24, 2022 10:55:01 am
घग्घर नदी में पानी से खुशी, कमजोर बंधों से नदी में कटाव की चिंता, कैली बनी मुसीबत
हनुमानगढ़. घग्घर नदी प्रवाह क्षेत्र में पानी का प्रवाह तेज हो रहा है। गुल्ला चिक्का हैड पर शनिवार को १७७१० क्यूसेक पानी की आवक हो रही थी। इसी तरह खनौरी हैड पर ९०२५, चांदपुर हैड ९८५०, ओटू हैड पर १०७००, घग्घर साइफन में ६५००, नाली बेड में ४००० तथा आरडी ४२ जीडीसी में ३२५०, आरडी १३३ जीडीसी में १५०० क्यूसेक पानी प्रवाहित हो रहा था। इससे धान उत्पादक किसानों को राहत मिली है। नाली बेड में शनिवार शाम पांच बजे पानी लुढ़ाणा के पास पहुंच गया। पानी की आवक से धान उत्पादक किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। किसानों का कहना है कि हनुमानढ़ मे धान की मांग देश ही विदेशों में खूब रहती है। प्रति वर्ष करीब ३५ हजार हेक्टेयर में जिले में धान की बिजाई होती है। इस बार भी काफी बड़े क्षेत्र में पैदावार की उम्मीद है।
धान उत्पादक किसानों में खुशी के बीच गांव सहजीपुरा के समीप घग्गर नदी पर निर्मित काजवे (पुल) में पानी प्रवाह के साथ बड़ी मात्रा में आ रही कैळी मुसीबत बनी हुई है। वहीं घग्घर नदी क्षेत्र में कमजोर बंधे होने की वजह से इनमें कटाव की आशंका भी बनी हुई है। शिवालिक की पहाडिय़ों में ज्यादा बारिश होती है तो नाली बेड में पानी की मात्रा बढऩे पर इन कमजोर बंधों के टूटने की आशंका रहेगी। वर्ष १९९५ में घग्घर के बंधे टूटने से हनुमानगढ़ शहर का आधा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ चुका है।
बरसाती नदी घग्घर मे आए पानी के प्रवाह से क्षेत्र के किसान प्रफुल्लित हैं। नदी मुहाने गांव करणीसर सहजीपुरा के किसानों ने बताया कि नदी में पहले की तरह पानी तो नहीं आता है। परंतु जितने दिन भी पानी का प्रवाह चलता है वो हमारे लिए सोने पर सुहागा के समान है। नदी में आए पानी से धान की खेती में सिंचाई तथा नदी किनारे के कुंओं को रिचार्ज करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। करणीसर के किसान देवीलाल दूधवाल, साहबराम, सहजीपुरा के वीर सिंह, रामकुमार दूधवाल, सुभाष वर्मा आदि ने खुशी का इजहार करते हुए बताया कि क्षेत्र धान की खेती के लिए अनुकूल होने से सिंचाई के लिए पानी की खपत अधिक होती है। नदी के पानी से एक साथ दो लाभ होते हैं। गांव के समीप नदी की धार से नदी के दूसरी ओर खेतों में सामूहिक रूप से किसानों ने मिलकर आठ नौ मुरब्बा दूरी तक भूमिगत पाइप लाइन डालकर धान की सिंचाई एवं कुंओं को रिचार्ज करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। जिले के गांव सहजीपुरा के समीप घग्गर नदी पर निर्मित काजवे (पुल) में पानी प्रवाह के साथ बड़ी मात्रा में आ रही कैळी मुसीबत बनी हुई है। काजवे के बड़े पाइपों के पानी में रुकावट पैदा होने से प्रवाह बढऩे पर पानी काजवे के ऊपर से प्रवाहित होना शुरू हो जाएगा। यह काजवे के लिए खतरे का कारण बन सकती है। किसानों ने कैळी शीघ्र हटाने की मांग की है। इस संबंध में नायब तहसीलदार हरबंस नैण ने बताया कि स्थिति का जायजा लेकर प्रशासन को अवगत करवाया है। जन हित को देखते हुए कैळी के निस्तारण को कहा गया है। सरपंच संदीप सिंह ने बताया कि नदी किनारे काजवे की स्थिति का जायजा लिया। यदि कैळी हटाने के कार्य में प्रशासन सहायता नहीं देता है तो फिर अपने स्तर पर कार्य करना पड़ता है। कैळी हटाने का कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा।

घग्घर नदी में पानी से खुशी, कमजोर बंधों से नदी में कटाव की चिंता, कैली बनी मुसीबत
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