दूर-दराज के गांवों के लोगों की लाइफ लाइन कही जाने वाली भारतीय रेल की तस्वीर कई बार सावल खड़े कर देती है, कि रेलवे ने कई आयम तो गढ़े लेकिन…
टिब्बी। केन्द्र सरकार भारतीय रेलवे और उसकी बदलती दशा को लेकर अक्सर अपनी बात दोहराती है, जबकि साथ ही रेलवे को वर्ल्ड क्लास बनाने के दावे भी करती है। पर हकीकत पर नजर डालें तो कुछ और ही देखने को मिलता है, यहां दूर-दराज के गांवों के लोगों की लाइफ लाइन कही जाने वाली भारतीय रेल की तस्वीर कई बार सवाल खड़े कर देती है, कि रेलवे ने कई आयम तो गढ़े लेकिन मुसाफिरों को होने वाली परेशानी से निजात दिलाए बिना ये कैसे वर्ल्ड क्लास बन सकती है। अमूमन लोगों को रेल सफर के दौरान या रेलवे से जुड़ी कई परेशानियों से दो-चार होते देखा गया है, लेकिन यहां राजस्थान के टिब्बी तहसील के गांव सलेमगढ़-मसानी में रेलवे से जुड़ा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां लोग अगर रेलगाड़ी पर चढ़े तो उन्हें जुर्माना देना होता है और अगर नहीं चढ़े तो उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
टिकट के बिना होती है कई परेशानी- दरअसल, राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित टिब्बी तहसील के सलेमगढ़-मसानी रेवले स्टेशन पर लोगों को टिकट नहीं मिलने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। पिछले दो माह से सलेमगढ़-मसानी के रेलवे स्टेशन पर टिकट काटने वाला कोई भी रेलवे का कर्मचारी नहीं है। हाल्ट स्टेशन की श्रेणी में आने वाले सलेमगढ़-मसानी के रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की रेल टिकट काटने का ठेका गांव के ही एक युवक के पास था, लेकिन करीब दो माह पहले उसका निधन हो गया। और तब से यहां कोई टिकट काटने वाला नहीं है। ऐसे में यहां से ट्रेन पकड़ने वालों को कई बार बिना गलती के ही फाइन भरना पड़ जाता है।
मजबूरन चढ़ते है रेल में तो देना पड़ता है जुर्माना- तो वहीं इस समस्या के कारण सलेमगढ़ और मसानी गांव के ग्रामीण रेल यात्रा नहीं कर पा रहे हैं। अगर मजबूरी में वे रेलगाड़ी में चढ़ भी जाते हैं तो उन्हें हनुमानगढ़ या फिर ऐलनाबाद पहुंचते ही जुर्माने का शिकार होना पड़ जाता है। जिसे लेकर वो काफी दुविधा में रहते हैं, कि रेलगाड़ी में चढ़े या नहीं। ग्रामीणों की माने तो वे रेलगाड़ी में जुर्माने के डर से चढ़ते नहीं है और बाद में उन्हें मजबूरन बसों से यात्रा कर परेशानी झेलनी पड़ती है साथ ही अधिक किराया भी देना पड़ता है। ऐसे में गरीब तबके के लोगों को कई बार ज्यादा परेशानी भी झेलनी पड़ जाती है।
बसों में देना पड़ता है दुगुना किराया- ग्रामीण शिशपाल जलंधरा के मुताबिक, गांव में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें पिछले दो माह के दौरान मजबूरी में बिना टिकट यात्रा करना पड़ा और फिर जुर्माने का शिकार होना पड़ा। उनका आरोप है कि गांव के रेलवे स्टेशन पर टिकट काटने वाला कर्मचारी नहीं होना रेलवे विभाग की लापरवाही है जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है। सलेमगढ़-मसानी से रोजना कई ग्रामीण हनुमानगढ़ (ऐलनाबाद) की ओर सफर करते हैं। रेलगाडी से यात्रा में दोनों ओर का किराया दस-दस रूपए है जब कि बसों में यह किराया लगभग दुगुना हो जाता है। लेकिन जुर्माने के डर से उन्हें दुगुना किराया देना पड़ता है।
लोग भर रहे रेलवे की लापरवाही का खमियाजा- मामले को लेकर अन्य लोगों का कहना कि रेलवे स्टेशन पर कर्मचारी नहीं होने के कारण वे बसों से यात्रा करने को मजबूर है लेकिन रेल से लम्बी दूरी की यात्रा करनी होती है तो वे टिब्बी (शेरेकां) जाकर वहां से टिकट लेकर रेलगाड़ी पकड़ते हैं। जिससे उन्हें अनावश्यक परेशानी होती है। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने रेलवे अधिकारियों से गांव के स्टेशन पर शीघ्र कर्मचारी नियुक्त किए जाने की मांग भी की है। तो वहीं रेवले की इस लापरवाही का खमियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। फिलहाल वहां टिकट काउंटर पर कोई भी टिकट काटने वाला नहीं है।