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किसी ने ब्याह के लिए रखे थे पैसे तो किसी के बुढ़ापे का सहारा थी एफडी

https://www.patrika.com/hanumangarh-news/ हनुमानगढ./संगरिया. रतनपुरा गांव की रामेश्वरीदेवी पत्नी पप्पूराम बाजीगर ने मनरेगा में मेहनत-मजदूरी कर एक दशक में लगभग एक लाख पांच हजार की एफडी करवाई। करीब 50 हजार बचत खाता में जमा करवाए थे। अब पति रोज सुबह दस बजे अपनी भेड़-बकरियों को चराने जाता है।  

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किसी ने ब्याह के लिए रखे थे पैसे तो किसी के बुढ़ापे का सहारा थी एफडी

किसी ने ब्याह के लिए रखे थे पैसे तो किसी के बुढ़ापे का सहारा थी एफडी

अभियान: धरतीपुत्रों को मिले हक का पैसा

किसी ने ब्याह के लिए रखे थे पैसे तो किसी के बुढ़ापे का सहारा थी एफडी
-जिले की रतनपुरा ग्राम सेवा सहकारी समिति में गबन का मामला
-खून-पसीने की कमाई लौटने की आस में 57 दिन से धरने पर बैठे हैं ग्रामीण

हनुमानगढ./संगरिया. रतनपुरा गांव की रामेश्वरीदेवी पत्नी पप्पूराम बाजीगर ने मनरेगा में मेहनत-मजदूरी कर एक दशक में लगभग एक लाख पांच हजार की एफडी करवाई। करीब 50 हजार बचत खाता में जमा करवाए थे। अब पति रोज सुबह दस बजे अपनी भेड़-बकरियों को चराने जाता है। वह दाहिना हाथ कटने से दिव्यांग है। एक बेटा है, जो चार महीनों से बीमार है। दंपती का आरोप है कि जब वह अपने पैसे मांगने को जाते हैं तो कहीं से सही जवाब नहीं मिल रहा है। यही स्थिति लोगों के कपड़े सिलकर परिवार चलाने वाली सुमन की है।
सुमन पुत्री सुरेंद्र राहड़ का कहना है कि पिता किसान हैं। लेकिन परिवार को चलाने के लिए कपड़े सिलकर सोसायटी में परिवार ने रमेश सहारण को करीब बारह लाख देकर तीन एफडीआर ली। मार्च में शादी होनी है। पैसे नहीं हैं। शादी का इंतजाम कैसे होगा। इसकी चिंता सबको सता रही है। इस तरह के हालात रतनपुरा ग्राम सेवा सहकारी समिति से जुड़े कई परिवारों के हो रहे हैं। लंबे समय से ग्रामीण खून-पसीने की मेहनत से कमाए पैसे वापस देने की मांग को लेकर आंदोलन भी कर रहे हैं। लेकिन तीन माह बीतने के बाद भी ग्रामीणों को अब तक फूटी कौड़ी भी नहीं मिल पाई है। इस वजह से ग्रामीण हैरान-परेशान हो रहे हैं। इस पूरे मामले के बारे में जांच अधिकारी संजय गर्ग का कहना है कि रतनपुरा सोसायटी की जांच में जुटे हुए हैं। शीघ्र रिपोर्ट पेश करेंगे। प्रथम दृष्ट्या रिपोर्ट से पहले कुछ कहना उचित नहीं है। [पसं.]

समझें आंकड़ों की जुबानी
रतनपुरा समिति में ग्राहकों की ओर से दी गई परिवेदनाओं के अनुसार बारह करोड़ 68 लाख नौ हजार 461 रुपए की रकम सामने आई है। कई लोगों ने परिवेदना प्रस्तुत नहीं की, ऐसे में राशि बढऩे की संभावना है। मियादी जमा विवरण के छह पेजों में अंकित सूची के अनुसार 360 ग्रामीणों के दस करोड़ 11 लाख 56 हजार 482 रुपए जमा करवाए हुए हैं। इसमें चिमनलाल पुत्र छोटूराम ने लिखित में बताया कि 45 हजार रुपए की एफडीआर रमेश कुमार को नवीनीकरण के लिए दी, वापिस नहीं मिली। अमनदीप कौर पुत्री दर्शनसिंह की तीन लाख 20,150 की एफडीआर बिना हस्ताक्षर व आधारकार्ड हैं। जबकि 16 जनों की आईडी नहीं लगी हैं। इसी तरह 186 बचत खाताधारकों की ओर से प्रस्तुत तीन पेजों के विवरण अनुसार एक करोड़ 95 लाख 32 हजार 979 सोसायटी में जमा हैं। विमलादेवी पत्नी रजीराम ने आरोप लगाया कि पासबुक को रमेश ने फाड़ दिया। इकबाल सिंह पुत्र जलौरसिंह ने पासबुक नहीं देने की बात कही। ननकूराम पुत्र भगवानदास के 12 हजार 561 जमा हैं। इसमें 3100 भूपसिंह को एवं शेष रमेश को देना बताया। गुड्डीदेवी पत्नी पतराम ने 40165 जमा कराएं जिसमें दस हजार रमेश को दिए लेकिन 30 हजार 165 जमा दर्शाए हैं। सुनील पुत्र गंगाराम के 89060 जमा हैं। जिसमें 35 हजार भूप सिंह को व शेष रमेश सहारण को देना बताया। उधर, संघर्ष समिति सदस्यों शिव गोदारा, मोहन राहड़, रवि बिस्सू, रत्तीराम बुडानियां, नरेश गोदारा, रमेश सिहाग, सत्यपाल राहड़, बिट्टू शर्मा, मदन चोपड़ा, रजीराम शर्मा, रुपिंद्र मान, ओम बुडानियां, राकेश व अन्य ग्रामीणों का आरोप है कि 25 लाख 14 हजार रुपए का यंत्रीकरण ऋण नौ लोगों के नाम से फर्जी उठाया गया है। चार आरटीपी निवासी संजय कुमार व प्रेमकुमार कभी सोसायटी में नहीं आए। वहीं एक लेबोरेटरी संचालक है। इसी तरह 8.52 लाख का स्वरोजगार ऋण बीस लोगों के नाम तथा 24 लोगों के नाम उपभोक्ता वस्तुओं का ऋण तीन लाख 64 हजार 300 रुपए दर्शाया है। जो जांच के दायरे में आते हैं। लिखित में शिकायत दी गई है।

57 दिन से धरने पर डटे ग्रामीण
रतनपुरा सोसायटी के समक्ष संघर्ष समिति के बैनर तले ग्रामीण 57 दिन से धरने पर बैठे हुए हैं। लेकिन सहकारिता विभाग, प्रशासन तथा जन प्रतिनिधियों पर उनकी पुकार का असर नहीं हो रहा है। ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। पैसों की वापसी को लेकर दिन का चैन और नींद उड़ी हुई है।

ग्रामीणों ने यूं बयां किया दर्द
पत्रिका ने जब ग्रामीणों से बातचीत की तो उन्होंने अपने-अपने अंदाज में दर्द बयां किया। मेहनत-मजदूरी कर पाई-पाई जोडकऱ मिनी बैंक/सोसायटी में लोगों ने अपनी बचतें जमा करवाई थी। लेकिन भुगतान नहीं मिला। ऐसे में 80 वर्षीय सरजीतकौर अपने 18 हजार रुपए, छिंद्रपालकौर 3.63 लाख, पालकौर 10 हजार, रेखारानी चार लाख, अंगे्रजकौर 50 हजार, रजोदेवी 33 हजार 750, छिंद्र कौर 10हजार, सहीराम 1.11 लाख, विमला देवी 1.10 लाख, सरोज देवी 5700 रुपए, कुलवंद्रकौर 65 हजार, दिहाड़ी मजदूर रुप राम के डेढ़ लाख, चंद्रकला 23 हजार, शिमला देवी 2.32 लाख, पालासिंह 1.28 लाख, सुभाष सुथार 33 लाख, बृजलाल 1.81 लाख, लालचंद 2.54 लाख, संतोख सिंह 1.10 लाख, कमला देवी 1.6 लाख, बलराम सुथार 1.84 लाख, राजेश गोदारा अपने बच्चों के 4.25 लाख, मघाराम अपने परिवार के करीब 1.30 लाख, वार्ड पांच पूनम की दिव्यांग बेटी भावना के नाम 50 हजार सहित ग्रामीण अपने लाखों रुपयों के भुगतान के लिए लगातार जद्दोजद कर रहे हैं। दो बेटियों की बीमार मां सरस्वती ने प्लॉट बेचकर 1.25 लाख जमा कराए, अब पैसों के लिए चक्कर काट रही है। रामेश्वरीदेवी ने दो लाख रुपए रमेश को दिए लडक़ा बीमार है, लेकिन पैसे नहीं मिले।