
Students want education in digital way, teachers are also updated, keeping an eye on profit and loss
हनुमानगढ़. एआई के इस दौर में जहां कामकाज आसान हुआ है, वहीं नई चुनौतियां भी पैदा हुई हैं। शिक्षाकर्म भी इससे अछूता नहीं है। हर जिज्ञासा की शांति के लिए गूगल का सहारा लेने के चक्कर में किताबों से दूरी चिंता को शिक्षक चिंता का सबब मानते हैं। कोविड काल के बाद ऑनलाइन शिक्षा के चलते पढ़ाई में बढ़ते तकनीक के इस्तेमाल को लेकर शिक्षक सचेत हैं। वे मानते हैं कि इसमें सहूलियत है तो कई संकट भी हैं। विद्यार्थियों एवं शिक्षकों दोनों को ही तकनीक का फायदा मिला है। अध्ययन या अध्यापन में सहायक सामग्री के रूप में तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। मगर इस पर आश्रित हो जाना या पूर्णत: विश्वास कर लेना, ठीक नहीं है। क्योंकि अध्यापक केवल ज्ञान ही नहीं देते बल्कि वे विद्यार्थियों के जीवन और भविष्य को आकार भी देते हैं। संस्कारों के साथ शिक्षा देते हैं जो हर दौर में जरूरी और प्रासंगिक है। राजस्थान पत्रिका से बातचीत में शिक्षकों ने शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल आदि को लेकर अपनी राय रखी।
शिक्षकों के अनुसार पहले शिक्षक को कक्षा में जाने से पूर्व घर से तैयारी करने के लिए उपलब्ध संदर्भ पुस्तकों या गाइड्स पर आधारित रहना पड़ता था, किसी शब्द का अर्थ देखने के लिए भी शब्दकोश खंगालने पड़ते थे, अब इन सबकी जगह डिजिटल सामग्री ने ले ली है। लेशन की तैयारी भी विषय विशेषज्ञ की ऑनलाइन क्लास देखकर की जा सकती है। विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों पर संदर्भ पुस्तकें डिजिटल रूप में मौजूद हैं तो सभी भाषाओं के शब्दकोशों के ऐप भी हैं। आज तो विविध प्रकार के एआई एप्स शिक्षक की सहायता करते हैं। बस, सावधानी व सतर्कता से इनके इस्तेमाल की जरूरत है।
बदलते परिवेश में शिक्षक का रोल और भी महत्वपूर्ण हो गया है। गूगल और चैटबॉट जानकारी तो दे सकते हैं, लेकिन सही मार्गदर्शन, मूल्य और अनुभव केवल शिक्षक ही प्रदान कर सकते हैं। इसलिए डिजिटल युग में शिक्षक की भूमिका और अधिक बढ़ गई है। तकनीक से यह लाभ हुआ है कि अब स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल टूल्स से पढ़ाई अधिक रोचक और सहभागिता पूर्ण हो गई है। कोविड-19 महामारी ने इस बदलाव को और तेज किया। बच्चे आजकल विभिन्न तकनीक व टूल्स से तुरंत जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे में शिक्षकों के सामने यह चुनौती है कि वे खुद को अपडेट रखे। शिक्षकों ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, वर्चुअल क्लासरूम और डिजिटल टूल्स का प्रयोग करना सीख लिया। आज शिक्षक ना केवल किताबों का ज्ञान दे रहे हैं, बल्कि नई तकनीक का इस्तेमाल कर छात्रों को क्रिटिकल थिंकिंग, प्रॉब्लम सॉल्विंग और एथिकल यूज ऑफ टेक्नोलॉजी भी सिखा रहे हैं। - प्रेम दूधवाल, एडीईओ प्रारंभिक।
नर्सरी से लेकर उच्च कक्षाओं तक के लिए आज डिजिटल ऑनलाइन माध्यमों पर शिक्षण सामग्री की भरमार है। जिस दिन कोई शिक्षक छुट्टी पर होता है तो मैं उनकी कक्षा की व्यवस्था स्मार्ट क्लास रूम में करता हूं। पलक झपकते ही स्क्रीन पर पहले से रिकॉर्डेड लेशन चल पड़ता है और विद्यार्थी तन्मय होकर पढ़ाई करने लगते हैं। वहीं नर्सरी से लेकर पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को अंतिम कालांश में गिनती, पहाड़े व हिन्दी व अंग्रेजी तथा स्थानीय भाषा में वर्णमाला व बारखड़ी तथा बाल कविताएं बुलवाने की जो परम्परा थी उसमें भी बदलाव आया है। यह सब कार्य भी अब डिजिटल माध्यमों व ऑडियो-विजुअल सामग्री से सम्पन्न करवाए जाने लगे हैं। बच्चे रूचिपूर्वक एलईडी स्क्रीन पर बड़े ही प्रसन्नचित मन से इन सब चीजों का अभ्यास करते हैं। बदलते युग व परिस्थितियों ने शिक्षण को और अधिक रोचक तथा प्रभावी बना दिया है। विज्ञान प्रयोगशाला का अभाव भी आजकल ज्यादा खटकता नहीं है। एलईडी स्क्रीन पर हृदय की संरचना और कार्य समझाने के लिए उसके वीडियो को प्रदर्शित किया जा सकता है। - डॉ. सत्यनारायण सोनी, प्रधानाचार्य, राबाउमावि, परलीका।
टिब्बी एसीबीईओ रोहताश चुघ बताते हैं कि शिक्षक डिजिटल अपग्रेड रहे इसके लिए ऑनलाइन शिक्षा के बढ़ते उपयोग ने शिक्षकों की भूमिका में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। शिक्षक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेकर अपने कौशल में सुधार कर रहे हैं और नवीनतम तकनीकों और तरीकों के बारे में सीख रहे हैं। शिक्षक अब ऑनलाइन प्लेटफार्मों का उपयोग करके छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं और खुद को अपडेट कर रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा में वीडियो लेक्चर, ऑनलाइन क्विज आदि गतिविधियां हो रही हैं। डिजिटल सामग्री बनाने व साझा करने के लिए ई-बुक्स, वीडियो ट्यूटोरियल आदि का उपयोग कर रहे हैं। छात्रों से ऑनलाइन बातचीत करने और उनकी जरूरतों को समझने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं, जैसे कि ऑनलाइन फोरम, चैटबॉट, वीसी आदि। हर शिक्षक को ऑनलाइन शिक्षा के नए तरीकों से अपडेट रहे। छात्रों की जरूरतों को समझ उनके अनुसार अपने शिक्षण तरीकों को अनुकूल बनाने की कोशिश करे। नवीनतम तकनीकों और शिक्षण तरीकों में सुधार करने के अवसरों का लाभ शिक्षकों को उठाना चाहिए।
Published on:
05 Sept 2025 11:32 am
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