हनुमानगढ़. पिछले शिक्षा सत्र में राज्य स्तर से सप्लाई किए गए खेल किटों में गुणवत्तापूर्ण व आवश्कतानुसार सामान नहीं मिलने को लेकर खूब हंगामा हुआ था। मगर अब हंगामा रेकॉर्ड में नहीं आ रहा है मतलब कि लिखित रिपोर्ट में स्थिति ‘सब चंगा सी’ जैसी आ रही है। दरअसल, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने विद्यालय स्तर तक खेल किट पहुंच प्रमाण पत्र व खेल सामग्री की गुणवत्ता और आपूर्ति पर संतोषजनक व असंतोषजनक टिप्पणी के साथ रिपोर्ट मांगी है। खेल सामग्री की गुणवत्ता को असंतोषजनक बताए जाने पर इसका कारण भी बताना होगा।
संस्था प्रधान व शिक्षा अधिकारियों की हालत यह है कि वे मुख्यालय के अफसरों और खेल सामग्री की आपूर्ति करने वालों से बैठे बिठाए पंगा नहीं लेना चाहते। इसके प्रारंभिक रुझान भी आने शुरू हो गए हैं। अब तक पीईईओ व यूसीईईओ को जो रिपोर्ट मिली है, उनमें अधिकांश खेल सामग्री को संतोषजनक बताकर पिंड छुड़ा रहे हैं।
शिक्षक नेताओं के अनुसार राज्य स्तर पर खरीदी गई घटिया खेल किट आपूर्ति पर अब विद्यालयों से लीपापोती कराने की कोशिश की जा रही है ताकि मुख्यालय के अफसरों की नाक बची रहे। खेल सामग्री के असंतोषजनक होने पर विद्यालय से कारण पूछा जा रहा है। भला कौन ऐसा शिक्षक होगा जो सरकार और मुख्यालय की खरीद पर उंगली उठाने की हिमाकत करेगा। अत: सभी सामग्री को संतोषजनक ही लिख रहे हैं और यही वे चाहते हैं।
गत सत्र से पहले तक विद्यालयों को राशि दी जाती थी। हर विद्यालय अपने खेल मैदान की उपलब्धता तथा विद्यार्थियों की रुचि के अनुसार खेल सामग्री की खरीद करता था। जबकि राज्य स्तर से भेजे गए खेल किट में लगभग एक जैसी सामग्री थी। राष्ट्रीय खेल हॉकी से संबंधित सामग्री किट से गायब थी। शिक्षक नेताओं के अनुसार राउमावि को खेल सामग्री वास्ते 25 हजार रुपए मिलते थे। जबकि राज्य स्तर से आए खेल किट में मुश्किल से दस हजार की सामग्री थी।
शिक्षा विभाग ने राज्य स्तर से खेल किट आपूर्ति के कई लाभ बताए। जैसे कि एक साथ बड़ी मात्रा में खेल सामग्री क्रय करने से पैसों की बचत, स्थानीय स्तर पर खरीद में होने वाले कथित भ्रष्टाचार पर अंकुश आदि।
Published on:
12 Jun 2025 11:52 am