Chaudhary Charan Singh death Anniversary: चरण सिंह गायों को बेचने के खिलाफ थे। एक बार उन्होंने कहा था कि "हमारे यहां गाय बेची नहीं जाती है, इसलिए आप इसे ले जाइए।
Chaudhary Charan Singh death Anniversary: आज यानी सोमवार को किसानों के मसीहा कहे जाने वाले नेता चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि है। प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चौधरी चरण सिंह का जीवन खुली किताब की तरह था। उनके राजनीतिक करियर के दौरान उनपर कोई दाग नहीं लगा। स्वतंत्रा संग्राम में किसानों और गरीबों की आवाज नको बुलंद करने वाले नेता चौधरी चरण सिंह ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। चरण सिंह गायों को बेचने के खिलाफ थे। एक बार उन्होंने कहा था कि "हमारे यहां गाय बेची नहीं जाती है, इसलिए आप इसे ले जाइए।
कानपुर दौरे के वक्त दिया त्यागपत्र
भारतीय राजनीति में चौधरी चरण सिंह के विरोधी भी उनके व्यक्तित्व और ईमानदारी के कायल रहे। निधन के बाद भी जब किसानों के हित में बात करने की बारी आती है तो सबसे पहला नाम चौधरी चरण सिंह का याद आता है। 'धरा पुत्र चौधरी चरण सिंह और उनकी विरासत' किताब के अनुसार चौधरी साहब ने 1970 में जब वह कानपुर के दौरे पर थे तब उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने की घोषणा की थी और उनका स्वाभिमान देखिए, वहीं से उन्होंने सरकारी गाड़ी को वापस भेज दिया और प्राइवेट वाहन से लखनऊ पहुंचे।
“हमारे यहां गाय बेची नहीं जाती” - चरण सिंह
हापुड़ के रहने वाले चौधरी चरण सिंह ने इस्तीफा देने के बाद सरकारी बंगला, सरकारी नौकर सब छोड़ दिया। जब उनके गए की बारी आई तो उन्होंने तत्कालीन सूचना निदेशक पंडित बलभद्र प्रसाद मिश्र को बुलाया और कहा "हमारे यहां गाय बेची नहीं जाती इसलिए आप ले जाइए इसे। चौधरी साहब ने 1954 में किसानों के हित में मिट्टी की जांच व्यवस्था शुरू कराई तथा अंग्रेजों के कानून खत्म कराए जिसमें नहर पटरी पर ग्रामीण के चलने पर रोक थी।
23 दिसंबर 1902 को हुआ था जन्म
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ के नूरपुर गांव में हुआ था। मेरठ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। और आज ही के दिन यानी 29 मई 1987 को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का निधन होगया।