हरदा

OTP के लिए चढ़ना पड़ रहा पहाड़ और पेड़, सरकारी योजनाओं से वंचित हो रहे 36 आदिवासी गांव

mp news: मध्य प्रदेश के हरदा जिले के कई गांवों में मोबाइल नेटवर्क (no mobile network) ऐसा गायब है कि OTP देखने के लिए अफसरों और ग्रामीणों को पेड़, टीले और मचान पर चढ़ना पड़ता है।

2 min read
May 16, 2025

no mobile network: हरदा जिले के 36 आदिवासी वन ग्राम ऐसे हैं जो आज भी मोबाइल नेटवर्क विहीन हैं। मोबाइल नेटवर्क सुविधा नहीं मिलने के कारण हितग्राहियों को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में जोखिम उठाना पड़ता है। आयुष्मान कार्ड, लाड़ली बहना और खेती किसानी सहित अन्य योजनाओं के पंजीयन, ओटीपी के लिए ग्रामीण व सम्बन्धित अधिकारी भी जोखिम उठाकर पहाड़ी या उंची मचान पर, पेड़ पर चढ़ना पड़ता है। टिमरनी विकासखंड के आदिवासी बाहुल्य गांवों में नेटवर्क की सुविधा के लिए लम्बे समय से मांग की जा रही है।

ओटीपी के लिए करनी पड़ रही मेहनत

रहटगांव, टेमागांव, बोरपानी, हडिया, मगरधा रेंज के करीब 36 गांवों में नेटवर्क की सुविधा नहीं है। ग्रामीणों अभी भी नेटवर्क के लिए पहाड़ पर जाना पड़ता है। रहटगांव के बड़वानी में नेटवर्क नहीं है। आरोग्य केंद्र में कोई गंभीर मरीज आ जाए, जिसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र टिमरनी या रहटगांव भेजना हो तो नेटवर्क के लिए सीढ़ी से भवन की छत पर चढ़ना पड़ता है। चंद्रखाल, गोराखाल आदि दूरस्थ गांवों में भी यही हाल हैं।

पंचायतों के काम प्रभावित ग्राम पंचायतों में बॉड बैंड की सुविधा नहीं है। इस कारण मोबाइल, इंटरनेट से जुड़े काम, रिपोर्ट भेजना, ई मेल करना, लोगों को किसी योजना का लाइव प्रसारण दिखाने जैसे कई काम नहीं हो पाते हैं। बहुत इमरजेंसी हो पर पात्र हितग्राहियों व अफसरों को धूप, बारिश या सर्दी हर सीजन में ऐसी जगह पर चढ़ना पड़ता है। जहां थोड़ा बहुत नेटवर्क हो।

मरीज को रेफर करने में होती है दिक्कत

बडवानी में आरोग्य केंद्र है, लेकिन मोबाइल का नेटवर्क नहीं मिलता है। ऐसे में किसी यहां किसी गंभीर रोगी के आ जाने पर यदि उसे सामुदायिक केंद्र रहटगांव या टिमरनी भेजना हो तो बहुत दिक्कत होती है। दोनों जगह संपर्क करने के लिए सीढ़ी के सहारे भवन की छत पर चढ़ना पड़ता है। - रमेश चौहान, बांसपानी

टीले पर जाकर खोजते हैं नेटवर्क

बीते साल लाडली बहना के पंजीयन हुए। अभी 70 साल से अधिक उम्र के लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाने का काम स्वास्थ्य विभाग की टीम कर रही है। ओटीपी आने पर नेटवर्क नहीं मिलता। ऐसे में किसी उंचे टीले या आसपास की पहाड़ी पर नेटवर्क खोजना पड़ता है।

मचान या उंचाई में जाना मजबूरी

केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाएं हैं। जिनका पंजीयन कराने या लाभ के लिए आवेदन करने पर ओटीपी मांगे जाते हैं। हर माह राशन और आए दिन होने वाली ईकेवायसी के ओटीपी नहीं मिलते। ऐसे में मचान या उंचाई पर बनी झोपड़ी का सहारा लेना मजबूरी है। -भूरा कलम, बडझिरी

ओटीपी देखने में अक्सर होती है समस्या

नेटवर्क विहीन गांवों के परिवारों के बच्चे शहर से छुटटियों में गांव आने पर ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। जिससे वे कई तरह की जानकारी और समय के साथ अपडेट रहने से पिछड़ रहे हैं। विभिन्न योजनाओं के लाभ के लिए ओटीपी देखने आए दिन जान जोखिम में डालते हैं। - राजेश सरियाम, मन्नासा

Published on:
16 May 2025 03:57 pm
Also Read
View All

अगली खबर