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गांव के पांव-पहले सड़कों पर पसरा रहता था अंधेरा, अब एलइडी की दूधिया रोशनी में नहा रहा गांव

डेडगांव माल में पेयजल की भी नहीं है समस्या

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गांव के पांव-पहले सड़कों पर पसरा रहता था अंधेरा, अब एलइडी की दूधिया रोशनी में नहा रहा गांव

गांव के पांव-पहले सड़कों पर पसरा रहता था अंधेरा, अब एलइडी की दूधिया रोशनी में नहा रहा गांव

आबादी : 1200
जनपद पंचायत : खिरकिया
जिला : हरदा
राजेश मेहता, खिरकिया। पहले गांवों से छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए शहर की ओर दौड़ लगाना पड़ता था, लेकिन गांवों में ही सुविधाएं मिल रही है। पिछले कुछ वर्षों में गांवों के विकास में तेजी आई है। आज वहां पक्के भवन के साथ सड़कों पर लाइट और पेयजल की समुचित व्यवस्था है। ऐसे में गांवों की तकदीर और तस्वीर बदल रही है। कुछ ऐसी ही बदलाव ग्राम पंचायत डेडगांव माल में भी है। गांव में जहां पहले सड़कों पर अंधेरा पसरा रहता था, वहीं आज गांव दूधिया रोशनी में नहा रहे हैं। गांव में कच्चे मकानों के स्थानों पर पक्के मकानों का निर्माण हो गया है। डेडगांव माल में वर्षों से ग्राम पंचायत भवन नहीं था, वहां आज 14 लाख 80 हजार की लागत से सर्व सुविधायुक्त पंचायत भवन का निर्माण कर लिया गया है। वर्षों से लोगों के कब्जे में दबी जमीन से अतिक्रमण हटाकर यह भवन बनाया गया हैै। ग्राम पंचायत के दामोदरपुरा में 7 लाख 80 हजार की लागत से आंगनबाड़ी भवन का निर्माण किया गया है। समूचे गांव में स्ट्रीट लाइट लगाए गए हंै। पूरे गांव में लगभग 1200 मीटर पक्की नाली एवं 700 मीटर पक्के रोड का निर्माण पिछले 5 वर्षों में किया गया है। 1000 मीटर नल जल योजना का काम होने के साथ साथ पशुपालन विभाग की ओर से दोनों गांव में पशु इलाज के लिए शेड बनाए गए हंै। गांवों में घरों के बाहर बैठने के लिए लगभग 35 कुर्सी लगाई गई हैं। इसके अलावा शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत मांगलिक भवन, छत चबूतरे, खेतो तक पहुंच मार्ग का निर्माण भी हो रहा है। आज ग्रामीणो को मूलभूत सुविधाएं मिल पा रही है। जपं सदस्य ममता संतोष कलम ने बताया कि शासन की योजना का समुचित उपयोग पंचायत द्वारा किया जाता है। समय पर क्रियान्वयन होने से अब गांव में विकास दिखाई दे रहा है। गांव पहले की अपेक्षा अधिक प्रगतिशील हो रहा है।
थाने नहीं पहुंची एक भी शिकायत
ग्राम पंचायत डेडगांव माल के इतिहास में पिछले 10 वर्षों से एक भी शिकायत थाने में नहीं हुई है। ग्राम का माहौल ऐसा नहीं बनता कि कोई थाने में शिकायत करे। यदि कोई मनमुटाव होता है तो ग्रामीण एक दूसरे से मिलजुलकर सुलझा लेते हैं।
कमजोरी
- उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से गांव में उपचार नहीं मिल पाता है।
- सामुदायिक भवन नहीं होने से कार्यक्रमों के लिए जगह नहीं मिल पाती है।
- तहसील मुख्यालय आने के लिए सीधा मार्ग नहीं, ग्रामीणो को फेरा लगाना पड़ता है।
मजबूती
- पंचायत के द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों में कोई भी आपत्ति नहीं ली जाती
- ग्राम पंचायत में कभी भी कोई जनप्रतिनिधि के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया
- ग्रामीणों द्वारा कार्यों में एक दूसरे का सहयोग किया जाता है।