हरदा.शहर सीमा में तेजी से बन नहीं आवासीय कॉलोनियों और व्यक्तिगत रुप से भवन बना रहे लोग नगर पालिका से सशर्त अनुमति तो ले रहे हैं,लेकिन शर्तों में शामिल रुफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने से परहेज कर रहे हैं। इससे बारिश का लाखों लीटर पानी हर साल बेकार बह जाता है। नपा भी अनुमति के समय राशि जमा करा लेती है,लेकिन सिस्टम नहीं लगवाने वाले निर्माण में उस राशि से यह सिस्टम बनवाना जरुरी नहीं समझती। शहरी सीमा में बने 70 फीसदी सरकारी भवनों में यह सिस्टम बना हुआ है।
करीब 13 साल पहले सरकार ने बारिश के पानी को बचाने के लिए शहर सीमा में होने वाले निर्माण में रफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना अनिवार्य कर दिया। साल 2018 से नपा ने भवन निर्माण की ऑनलाइन अनुमति देना शुुरु किया। निर्माण के लिए लोग अनुमति तो ले रहे हैं,लेकिन निर्माण के साथ यह सिस्टम बनवाने से बच रहे हैं।
यह है नियम:
आवेदक भवन निर्माण के लिए नपा में आवेदन देता है। नपा प्लाॅट के साइज के हिसाब से रुफ वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सशर्त राशि जमा कराती है। आवेदक को निर्माण के साथ यह सिस्टम लगवाना होता है। यदि आवेदक यह सिस्टम नहीं लगवाता है तो नपा यह राशि राजसात कर लेती है। नियमानुसार इसी राशि से नपा को संबंधित के यहां यह सिस्टम का निर्माण कराना है,लेकिन नपा ऐसा नहीं करती है।
काॅलोनियों में नुकसान:
शहर सीमा का दायरा बढ़ रहा है। हर साल खेती की जमीन आवासीय प्रयोजन में बदली जा रही है। एक -एक कॉलोनी में 1-1 हजार मकान बन रहे हैं। लेकिन बरसात के पानी को सहेजने के कहीं भी रुफ वाटर हार्वेस्टिंग नहीं बनाए जा रहे हैं। यहां गर्मी में भूजलस्तर काफी नीचे चला जाता है। ऐसी कॉलोनियों में इस सिस्टम से पानी की बड़ी मात्रा बचाई जा सकती है।
कंसल्टेंट एवं आर्किटेक्चरल इंजीनियर अरविंद हरणे बताते हैं कि 1000 वर्गफीट की छत से एक बारिश में करीब 3 लाख लीटर पानी बचाया जा सकता है,जिससे करीब 2200 लोगों की जरुरत की पूर्ति हो सकती है। जलसंकट हर साल गहराता जा रहा है,ऐसे में बारिश के पानी को सहेजने बहुत जरुरी है। पानी का दुरुपयोग भी रोकना होगा।
शिवम वाटिका निवासी एडवोकेट शेख मुईन ने बताया कि उन्होंने 1500 वर्गफीट क्षेत्र में मकान का निर्माण कराया। इसमें उन्होंने बारिश के जल को सहेजने के लिए रफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया है। इससे भूजल स्तर मेंटेन हैं। गर्मी में बीते 5-7 साल में कभी पानी की दिक्कत नहीं हुई। वे बताते हैं कि यह कोई खर्चीला काम नहीं है। निर्माण समय ही एक पाइप लगाना होता है,जिससे छत पर एकत्रित होने वाले बरसाती पानी को पाइप से नीचे एक चैंबर के जरिए जमीन में उतारा जा सके। इससे आसपास में जल स्तर ठीक बना रहता है।
इनका कहना है
भवन निर्माण की अनुमति सशर्त ही दी जाती है। शहर में करीब 70-80 फीसदी सरकारी भवनों में तो यह सिस्टम लगा है। अनुमति देने के बाद कितने लोगों ने यह सिस्टम लगवाया,यह कल फाइल देखकर ही बता पाउंगा।
-शिवम चौरसिया,उपयंत्री नपा,हरदा