हरदा

बाहर से हर माह आते हैं कई डॉक्टर,सीएमएचओ ऑफिस में कोई पंजीयन नहीं

हरदा. यहां दूसरे जिलों और राज्यों से आकर मेडिकल स्टोर्स पर बने डॉक्टर चैंबर्स में बैठकर मुंहमांगी फीस लेकर विभिन्न गंभीर रोगों के लिए परामर्श और दवाएं लिखने वाले डॉक्टरों का सीएमएचओ आफिस में कोई पंजीयन नहीं है। बाहर से आने वाले इन विशेषज्ञों की लिखी दवाएं भी उन्हीं तय मेडिकल स्टोर्स पर मिलती है,जिनके चैंबर्स में बैठकर मरीज देखते हैं। ऐसे में किसी मरीज की जान से खिलवाड़ होने पर प्रशासन कैसे किसी की जवाबदेही तय करेंगे।

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Jun 18, 2023
Many doctors come from outside every month, no registration in CMHO office

शहर में लगभग हर सप्ताह पड़ोसी जिलों व राज्यों से कई रोगों के डॉक्टर आते हैं। उनके आने और बैठकर इलाज करने की तारीख और जगह के पंपलेट बंटते हैं। कुछ विशेषज्ञों व डॉक्टरों के नाम के ऑटो से एनाउंस होते हैं। जिसमें डिग्रियों का भी प्रमुखता से जिक्र होता है। जिससे लोग आसानी से विश्वास करके उनके पास इलाज के लिए चले जाते हैं।

तय मेडिकल की लिखते हैं दवाएं:

शहर में बाहर से आने वाले डॉक्टरों की लिखी दवाएं उन चैंबरों की मेडिकल स्टोर्स पर ही मिलती है,जहां वे आकर इलाज व परामर्श देते हैं। जिले की किसी भी अन्य मेडिकल स्टोर्स पर वे दवाएं मिलती ही नहीं हैं।जिला बनने के करीब 25 साल बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में हरदा काफी पिछड़ा हुआ है। यही कारण कि कई तरह की बीमारियों के विशेषज्ञ अब यहां बड़ी संख्या में आने लगे हैं,जो अपनी मुंह मांगी फीस के अलावा कई महंगी दवाएं लिखते हैं। इन दवाओं से आराम न लगने पर अगली बार दवाएं बदल दी जाती हैं। सूत्र बताते हैं कि एक बार में परामर्श शुल्क के अलावा 700 से 1000 रुपए की दवाएं लिखना आम बात है।

जान जाेखिम में:

बाहर से आने वाले डॉक्टर अपने पर्चों और बाजार में बंटवाए जाने वाले पंपलेट में उल्लेखित डिग्रियों के वास्तव में धारक हैं या नहीं यह कोई रोगी नहीं पूछ सकता है,लेकिन नियमानुसार ऐसे डॉक्टरों की सीएमएचओ में डॉक्टर चैंबर्स चलाने वालों को या खुद डॉक्टर को जानकारी दर्ज कराना चाहिए। नियमानुसार सीएमएचओ आफिस में ऐसे डॉक्टरों के अनिवार्य पंजीयन का भी नियम है। पूर्व में हाेटलों,लॉज व धर्मशालाओं से ऐसे झोलाछाप दवाओं के साथ पकड़े गए हैं। अभी भी कई बिना किसी डिग्री वाले डॉक्टर न केवल इलाज कर रहे हैं बल्कि दवाएं भी अपने मेडिकल से बीच बाजार में बेखौफ बेच रहे हैं।


शहर में कई नर्सिंग होम स्वास्थ्य विभाग के तय मापदंड पर खरे नहीं हैं। इनमें न तो क्वालिफाइड स्टॉफ है और न ही अन्य सुविधाएं है। सिंधी कॉलोनी के त्रिपाठी नर्सिंग होम में तो एंबुलेंस जाना का रास्ता तक नहीं है। जिन नर्सिंग होम में डॉक्टरों की डिग्री व ऑपरेशन की योग्यता पर भोपाल तक शिकायतें पहुंची,उसमें विभाग ने क्या जांच की,या सांठगांठ के कारण नहीं की यह भी रहस्य ही बना हुआ है। एक नर्सिंग होम में सेवा देने वाले डॉक्टर की काबिलियत पर सवाल उठे,लेकिन आरटीआई में कभी उनकी जानकारी नहीं दी गई। कहीं रैंप नहीं है तो कही प्रशिक्षित स्टॉफ नहीं है। फिर भी इनकी जांच से अधिकारी परहेज करते हैं।

इनका कहना है

बाहर से यहां आकर डॉक्टर्स चैंबर में बैठकर इलाज करने वाले डॉक्टरों की सीएमएचओ आफिस में कोई जानकारी नहीं है। डॉक्टर चैंबर्स चलाने वालों को इसके लिए नोटिस देंगे।
-डॉ.एचपी सिंह,सीएमएचओ,जिला अस्पताल,हरदा

Published on:
18 Jun 2023 08:26 pm
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