हरदा। अब किसान घर बैठे बैठे ही अपनी उपज व्यापारियों को बचे सकेंगे। इसके लिए उन्हें उपज लेकर मंडी में नहीं आना पड़ेगा। इससे उनका समय,भाड़ा बचेगा। इसके लिए सरकार ने एमपी फार्म गेट एप लांच कर दिया है। 4 माह में इस एप के जरिए मप्र की 259 मंडियों में 41 लाख क्विंटल उपज बेची गई। इससे 814 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ। हरदा मंडी में इस एप से 53500 क्विंटल उपज बिकी। इससे 15 करोड़ का व्यवसाय हुआ।
---कृषि उपज मंडी को सरकार ने पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर लिया है। इसका बुनियादी ढांचा मजबूत कर नई तकनीक व जरुरत के अनुसार अपडेशन किया जा रहा है। दशकों पुराने ढांचें का जीर्णोद्धार व रंग रोगन आदि किया जा रहा है। जिससे इसका कायाकल्प हो सके। अपडेशन और बदलाव के लिए हो रहे निर्माण कामों को देखने बुधवार को अतिरिक्त संचालक डीके नागेंद्र,योगेश नागले सहयोगी टीम व एनआईसी जानकारों के साथ एक दिनी दौरे पर आए।
ई प्रवेश,तौल,नीलामी सिस्टम देखा:
अफसरों की टीम दोपहर करीब एक बजे हरदा मंडी पहुंची। टीम ने मंडी में आने वाले किसानों को दी जाने वाली प्रवेश ई पर्ची का प्रक्रिया देखी। पहली पारी में हुए भाव के बाद हुए तौल की प्रोसेस को कांटे पर लाइव देखा। जिससे उपज भरी ट्रॉली व खाली ट्राॅली के अंतर को समझा। इसके बाद टीम ने दोपहर की पारी में व्यापारियों की टीम में शामिल होकर नीलामी की प्रक्रिया देखी। सौदा होने के बाद दे जाने वाली अनुबंध पर्ची को समझा।
रियल टाइम डेटा अपडेट करें:
मंडी में नीलामी के बाद किसानों को मंडी के कर्मचारी हाथ से तैयार रसीद पर्ची दे रहे थे। मैन्युअल पर्ची देखकर अतिरिक्त संचालक ने पूछा कि ऐसे में रियल टाइम डेटा कैसे अपडेट करते हो।यहां सब मैन्युअल चल रहा है,जबकि पूरी व्यवस्था डिजिटल होने जा रही है। सचिव संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि 21 एएसआई के पद मंजूर हैं,इनमें से 9 भरे हैं। नीलामी में अनुबंध पर्ची का काम आउटसोर्स के सिक्युरिटी गार्डों से करा रहे हैं। ऑपरेटर नहीं है। स्टाफ कम है। यह सुनकर अफसर चुप हो गए। वे बोले,आउटसोर्स से व्यवस्था कराएंगे। जब व्यापारी सोयाबीन की नमी मुंह से दाना चबाकर देख रहे थे,तब अधिकारी ने इसका कारण पूछा,लेकिन जवाब से संतुष्ट नहीं हुए।
ये हैं बदलाव के आधार:
अतिरिक्त संचालक ने बताया कि मंडी बोर्ड के अधिकारियों व कुछ सचिवों की टीम सरकार ने मंडी बोर्ड के अधिकारियों की टीम भेजी थी,जिसमें जेडी व सचिव स्तर के अफसर थे। जिन्होंने महाराष्ट्र,गुजरात,आंधप्रदेश,पंजाब,हरियाणा,यूपी,गुजरात सहित कई प्रदेशों की मंडियों का दौरा किया। जिन्होंने वहां किसानों को दी जा रही सुविधाओं और सिस्टम को देखा,व समझा। इसके विश्लेषण के आधार पर हरदा की मंडी में तकनीकी अपडेशन कर अन्य बुनियादी बदलाव व जरुरी विकास के जरिए नया सेटअप तैयार किया जा रहा है। जिससे किसानों को सुविधा व मंडी को राजस्व मिलेगा।
किसान को डाउनलोड कराया एप:
अतिरिक्त संचालक ने साल्याखेड़ी के किसान रामसिंह को बताया कि वे घर बैठे मोबाइल के जरिए उपज बेच सकते हैं। किसान ने कहा,ऐसा हो तो हमारा भाड़ा व समय बचेगा। लेकिन भाव पूरा और सही कैसे मिलेगा। तब अधिकारी ने एएसआई देवेंद्र दशोरे से कहा कि इनके मोबाइल में एमपी फार्म गेट एप डाउनलोड करें,उन्हें समझाएं। मौके पर उन्हें पूरी प्रक्रिया समझाई। अधिकारी ने बताया कि मप्र की 259 मंडियों में 4 माह में इस एप से 41 लाख क्विंटल उपज बेची गई,जिससे 814 करोड़ का व्यवसाय हुआ। उन्होंने कहा कि किसानों व मंडी स्टाफ व्यपारियों ने कुछ तकनीकी परेशानी बताई,जिनका एनआइसी की मदद से समाधान करेंगे। ई अनुज्ञा सिस्टम से बाहरी दलाल खरीदी नहीं कर सकेंगे। मंडी को राजस्व मिलेगा।
हरदा। अधिकारी मंडी में निरीक्षण कर व्यवस्था देखते हुए।