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सूची में पिता के रूप में महिला का नाम लिखा तो कहीं जाति ही बदल दी, सैकड़ों किसानों की बीमा राशि अटकी

नाम, रकबे आदि में विसंगति से सैकड़ों किसानों को नहीं मिली वर्ष 2019 की फसल बीमा राशि, बैंक और कृषि विभाग के चक्कर लगा रहे किसान

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Amendment in Prime Minister Crop Insurance Scheme, indebted and non-indebted farmers can also be included

योजना से लाभ लेने के इच्छुक किसान दस्तावेज जमा कर सकते हैं

गुरुदत्त राजवैद्य, हरदा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए हितकारी तो है, लेकिन इसका लाभ देने के दौरान दस्तावेज तैयार करने के दौरान लापरवाही बरती जाती है। हर बार इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। वर्ष 2019 की खरीफ फसल का बीमा लाभ देने के दौरान भी ऐसा ही हुआ। जिले के सैकड़ों किसानों को अब तक बीमा राशि नहीं मिल सकी। वे कभी बैंक जाते हैं तो कभी कृषि विभाग के कार्यालय। अफसरों से गुहार लगाने पर सूचियों को खंगाला गया तो सामने आया कि किसी के पिता के रूप में महिला का नाम दर्ज है तो किसी की जाति या गौत्र ही बदल दिया। रकबा, आधार नंबर, पटवारी हल्का नंबर आदि में विसंगति के मामले भी सामने आए हैं। किसान कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मोहन विश्नोई ने बताया कि ऐड़ाबेड़ा के किसान रमेश कि पिता का नाम मयाराम है। इसकी जगह किसी हरसुख का नाम दर्ज है। रमेश का खाता नंबर सही होने के बावजूद राशि नहीं आई। कुकरावद गांव के किसान विजय टाले के पिता के रूप में राहुल जाट का नाम लिखा है। वहीं एक महिला कृषक का नाम छोड़कर पति परमानंद के साथ पिता का नाम रामनारायण बताया जा रहा है। कुकरावद के किसान आत्माराम पिता जयकिशन गुर्जर के स्थान पर आत्माराम पिता केसरबाई लिखा है। जिले में इस तरह के कई मामले हैं जिनके नाम, गौत्र, जाति, पटवारी हल्का, आधार कार्ड आदि में गड़बड़ी होने से किसानों को अब तक बीमा लाभ नहीं मिल सका है। ऐसे किसान बैंक और कृषि विभाग के कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही
बीमा राशि नहीं मिलने की 1400 शिकायतें
कृषि विभाग के मुताबिक वर्ष 2019 की बीमा राशि नहीं मिलने की करीब 1400 शिकायतें हैं। इनमें से करीब 600 विभाग के कार्यालय में की गई। वहीं शेष सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज हैं।
शासन का रवैया सख्त, बैंकों से 31 तक बुलाई जानकारी
बताया जाता है कि कृषि विभाग ने किसानों की शिकायतों से बीमा कंपनी को अवगत कराया था। शासन स्तर पर भी यह मुद्दा गरमाया। इसके बाद संचालनालय संस्थागत वित्त मप्र के संयुक्त संचालक सतीष गुप्ता ने 18 राष्ट्रीयकृत बैंकों के वरिष्ठ प्रबंधकों को पत्र लिखकर बीमा लाभ से छूटे किसानों की जानकारी देने के निर्देश दिए। इसके लिए 31 अक्टूबर की समयसीमा तय की गई है। गुप्ता ने पत्र में स्पष्ट किया है कि तय समय तक जानकारी नहीं देने पर ऐसे किसानों को बीमा राशि के भुगतान की जिम्मेदारी संबंधित बैंकों की होगी।
शुरुआत में 44 पटवारी हल्कों की रुकी थी बीमा राशि
ज्ञात हो कि शासन ने 18 सितंबर को किसानों के खातों में वन क्लिक पर वर्ष 2019 की बीमा राशि जमा की थी। शुरुआत में जिले के 57620 किसानों के खातों में 109 करोड़ रुपए देने का दावा किया गया था। हालांकि बाद में 38 हजार 803 किसानों को ही 93 करोड़ 59 लाख 82 हजार 979 रुपए ट्रांसफर किए जाना बताया गया। कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 44 पटवारी हल्कों के आंकड़ों में तकनीकी त्रुटि रही थी। अधीक्षक भू-अभिलेख द्वारा उन्हें दोबारा बीमा कंपनी को भेजा गया था। इसके बाद यहां के किसानों को बीमा राशि मिल सकी थी। दूसरी ओर जिले के 33 पटवारी हल्के ऐसे रहे थे जहां थे्रसोल्ड उपज से वास्तविक उपज अधिक होने के कारण क्षति शून्य प्रतिशत बताई गई थी। इस वजह से यहां के किसानों को बीमा लाभ नहीं मिल सका।
इनका कहना है
विभाग से प्राप्त शिकायतों से बीमा कंपनी और शासन को अवगत कराया गया है। शासन के निर्देश पर बैंकों द्वारा किसानों के रिकार्ड में गड़बड़ी को सुधारने का काम किया जा रहा है। छूटे किसानों को राशि जल्द दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- एमपीएस चंद्रावत, उप संचालक कृषि, हरदा