बोर से संपवेल में फिर मोटर से टंकी में पाइप से चढ़ाते हैं पानी,आजू बाजू में है गंदगी हरदा। यहां स्थित आदर्श कृषि उपज मंडी में किसानों को पीने के पानी के लिए पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्क के सामने बने संपवेल के पास में ही सार्वजनिक पेशाबघर का पाइप खुला छोड़ दिया गया है। यह गंदगी संपवेल के आसपास ही फैल रही है। इसका रिसाव संपवेल की दीवार के सहारे नीचे हो रहा है। कुछ ही दूरी पर टयूबवेल है,जिससे संपवेल में पानी भरा जाता है,फिर इसे मोटर के सहारे बाजू में ही बनी टंकी में भरा जाता है,इससे मंडी म
---मप्र में आदर्श कृषि उपज मंडी का दर्जा हासिल हरदा की मंडी में जहां से पीने के पानी की पूरे परिसर में सप्लाई की जा रही है,वहां अंडरग्राउंड बनी टंकी यानि संपवेल से बमुशकिल 20 कदम की दूरी पर पेशाबघर बना है। मंडी में काम करने वाले हम्माल,यहां उपज लेकर आने वाले किसान,मंडी के अन्य कर्मचारी आदि इसका उपयोग करते हैं। इसी टंकी से पूरे परिसर में पानी की सप्लाई होती है। मंडी में फल एवं सब्जी मंडी है। कैंटीन है। शंकर मंदिर के बाजू में बीते साल शुरू किया वॉटर कूलर है। जहां इसी संवपेल में संग्रहित पानी टंकी में भरने के बाद पाइप लाइन से सप्लाई होता है।
सीजन में होती है भीड़:
मंडी में किसानों को भाव अच्छा मिलता है,यही कारण है कि जिले के करीब 95 फीसदी किसान इसी मंडी में उपज बेचते हैं। आसपास की मंडियों में भाव कम मिलने पर नेमावर,खातेगांव,टिमरनी,रहटगांव,हंडिया,सिवनी मालवा के किसान भी यहां सीजन में उपज बेचने आते हैं। मंडी सूत्रों के अनुमान के अनुसार अप्रैल मई में गेहूं,चना मूंग के सीजन में औसतन 800 से 1000 किसान आते हैं। दिसंबर जनवरी में यह किसानों की औसत संख्या करीब 3 से 4 सौ तक सिमट जाती है। कई बार एक ट्रॉली पर एक से ज्यादा किसान भी आते हैं। सीजन में ज्यादा रकबे वाले किसान एक से ज्यादा बार भी आते हैं। जिले में करीब एक लाख से ज्यादा किसान हैं।
30 फीट के दायरे में तीनों:नपा में तकनीकी काम देखने के लिए इंजीनियर भी हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि एक लाख लीटर स्टोरेज क्षमता वाली टंकी,60 हजार लीटर पानी संग्रहित करने वाला अंडरग्राउंड संपवेल और पेशाबघर तथा टयूबवेल सभी व्यवस्था करीब 30 फीट के दायरे में ही कैसे डिजाइन कर बना दी गई हैं। पाइप लाइन बिछाते समय भी इसका ध्यान नहीं रखा,जिससे पेशाबघर की गंदगी को कहीं दूर निकालने की व्यवस्था की जाती। पाइप खुला होने के कारण यह हमेशा संपवेल के बाजू बाजू में ही फैलता है। पूरे समय बदबू आती है। संपवेल की दीवार के सहारे इसके रिसाव की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
एक्सपर्ट कमेंटस:
पीने का पानी हमेशा साफ शुद्ध होना चाहिए। जिससे पेट या आंत संबंधी बीमारियां न हों। जल स्रोत के आसपास हमेशा साथ सुथरी जगह होना चाहिए,जिससे हमें पीने के लिए मिलने वाला पानी साफ व शुद्ध मिले। सामान्य तौर पर ज्यादातर पेट संबंधी बीमारियां दूषित पानी के कारण होती हैं।
-डॉ.अर्जुनसिंह मोहे,पेट व कैंसर रोग विशेषज्ञ
इनका कहना है
शुरूआत से ही पाइप अंडरग्राउंड कराकर ज्यादा लंबाई में आगे छोड़ा गया था। किसी काम की दौरान खुदाई आदि में संभव है कि वह टूटकर उपर आ गया है,उसे कल ही रिपेयर करा दिया जाएगा।
-संजीव श्रीवास्तव,मंडी सचिव,हरदा
फोटो 5 हरदा। पेशाबघर से निकले पाइप का खुला मुंह संपवेल के पास।